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द्विबीजपत्री भ्रूण के विकास का वर्णन कीजिए।

या 

द्विबीजपत्री पौधों में भ्रूण विकास की विभिन्न अवस्थाओं का केवल नामांकित चित्र बनाइए। 

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द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास 

युग्मनज (zygote) एक द्विगुणित संरचना है। यह सूत्री विभाजनों (mitotic division or mitosis) द्वारा विभाजित होता है। आरम्भ में यह आकार में बढ़कर अपने चारों ओर सेलुलोस की एक भित्ति का निर्माण करता है। इसके पश्चात् यह एक अनुप्रस्थ विभाजन (transverse division) द्वारा दो कोशाओं में विभाजित हो जाता है। इसमें ऊपरी (बीजाण्डद्वार की ओर स्थित) कोशा को आधार कोशा(basal cell) तथा निचली (निभाग की ओर स्थित) कोशा को अन्तस्थ कोशा (terminal cell) कहते हैं। अन्तस्थ कोशा को भूणीय कोशा (embryonal cell) तथा आधार कोशा को निलम्बक कोशा(suspensor cell) कहते हैं। आधार कोशा एक अनुप्रस्थ विभाजन (transverse division) तथा अन्तस्थ कोशा एक उदग्र विभाजन (vertical division) द्वारा विभाजित होकर (T’) के आकार का चार-कोशीय बालभूण (pro embryo) बनाती है।

निलम्बक कोशी कई अनुप्रस्थ विभाजनों द्वारा विभाजित होकर छः से दस कोशा लम्बी सूत्राकार रचना निलम्बेक (suspensor) बनाती है। इस निलम्बक की ऊपरी कोशा कुछ फूलकर एक पुटिका कोशा(vesicular cell or haustorial cell) बनाती है। निलम्बक भ्रूण कोशाओं को नीचे की ओर धकेलती है। इनकी ऊपरी कोशा चूषांग (haustoria) का कार्य करती है। निलम्बक की सबसे निचली कोशी अधःस्फीतिका (hypophysis) कहलाती है। यही कोशा आगे विभाजन करके मूलांकुर (radicle) के शीर्ष को जन्म देती है। निलम्बक का कार्य बीजाण्डकाय से भोजन खींचकर वृद्धि कर रहे भ्रूण को प्रदान करना है।

इसी बीच अन्तस्थ कोशा की दोनों कोशाएँ एक अनुप्रस्थ विभाजन द्वारा विभाजित होकर चार भ्रूणीय कोशाएँ (embryonal cells) बनाती हैं। ये चारों कोशाएँ पुनः विभाजन द्वारा एक आठ कोशाओं वाली। अष्टम अवस्था (octant stage) बनाती हैं। इसमें अधः स्फीतिका के नीचे की चार कोशाएँ अधराधार कोशाएँ (hypobasal cells) तथा इसके नीचे चार कोशाएँ अध्याधार कोशाएँ (epibasal cells) कहलाती हैं। अधराधार कोशाओं से मूलांकुर (radicle) व अधोबीजपत्र (hypocotyl) तथा अध्याधार कोशाओं से प्रांकुर (plumule) व बीजपत्र (cotyledons) बनते हैं। अष्टमावस्था की आठों कोशाएँ परिनत विभाजन (periclinal division) द्वारा विभाजित होकर बाह्यत्वचीय कोशाओं (epidermal cells) का एक स्तर बनाती हैं जो बाद में अपनत विभाजन (anticlinal division) द्वारा विभाजित होकर त्वचाजन (dermatogen) स्तर बनाता है।

अन्दर की कोशाएँ अनेक उदग्र (vertical) व अनुप्रस्थ (transverse) विभाजनों द्वारा विभाजित होकर केन्द्रीय रम्भजन (plerome) तथा मध्य में वल्कुटजन (periblem) बनाती हैं। वल्कुटजन कोशाएँ वल्कुट तथा रम्भजन कोशाएँ रम्भ (stele) बनाती हैं। पुनः वृद्धि एवं विभाजनों द्वारा भ्रूण कुछ हृदयाकार (cordate) हो जाता है। बाद में बीजपत्र बड़े होकर मुड़ जाते हैं। इस प्रकार परिपक्व द्विबीजपत्री भ्रूण में दो बीजपत्र (cotyledons) होते हैं जो एक अक्ष (axis) से जुड़े रहते हैं। अक्ष का एक भाग जो बीजपत्रों के बीच होता है प्रांकुर (plumule) कहलाती है और दूसरा भाग मूलांकुर(radicle) कहलाता है। उपरोक्त प्रकार के द्विबीजपत्री भ्रूण का परिवर्धन सामान्य प्रकार का है। इसका उदाहरण क्रूसीफेरी कुल के सदस्य कैप्सेला बुर्सा पेस्टोरिस (Capsella bursd pastoris) है।

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