प्रकाश-वैद्युत प्रभाव के नियम: वैज्ञानिक लेनार्ड तथा मिलीकन ने प्रकाश-वैद्युत प्रभाव के सम्बन्ध में किये गये प्रयोगों से प्राप्त प्रेक्षणों के आधार पर कुछ नियम दिये जो प्रकाश-वैद्युत प्रभाव (ऊष्मा उत्सर्जन) के नियम कहलाते हैं। प्रकाश-वैद्युत प्रभाव के नियम निम्नलिखित हैं
1. किसी धातु की सतह से प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर धातु की सतह पर गिरने वाले प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
2. उत्सर्जित प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती।
3. प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की आवृत्ति के बढ़ने पर बढ़ती है।
4. यदि आपतित प्रकाश की आवृत्ति एक न्यूनतम मान से कम है तो धातु से कोई भी प्रक़ाश-इलेक्ट्रॉन नहीं निकलता। यह न्यूनतम आवृत्ति (देहली आवृत्ति) भिन्न-भिन्न धातुओं के लिए भिन्न-भिन्न होती है।
5. प्रकाश के धातु की सतह पर गिरते ही इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं, अर्थात् प्रकाश के सतह पर गिरने तथा इलेक्ट्रॉन के सतह से बाहर निकलने के बीच कोई समय-पश्चता (time-lag) नहीं . होती, चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी क्यों न हो।