मेरी दृष्टि में श्रीकृष्ण को योग सन्देश के स्थान पर प्रेम और सांत्वना से पूर्ण सन्देश भिजवाना चाहिए था। जब तक वह ब्रज में रहे उन्होंने गोपियों के प्रति प्रेम का भाव ही प्रदर्शित किया। गोपियाँ भी उनसे अत्यधिक प्रेम करती थीं। जब किसी का प्रिय बिछुड़ता है तो उसका हृदय अत्यन्त व्याकुल हो जाता है। श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने और लौटकर न आने से गोपियों को गहरा आघात लगा था। उन्हें सारी सुखदायिनी वस्तुएँ कष्टदायिनी लगने लगी थीं। ऐसी स्थिति में कृष्ण का कर्तव्य था कि वह योग साधना जैसा नीरसे सन्देश न भिजवाकर प्रेम और सहानुभूतिमय सन्देश भिजवाते । तभी गोपियों के हृदयों को सन्तोष और सुख मिलता। वैसे भी योग साधना ग्रामीण स्त्रियों के लिए बड़ा कठिन काम था।