जब कोई लिगेंड धातु अथवा धातु आयन के पास आता है, तो d-कक्षकों का विपाटन दो समुच्चयो (sets) में हो जाता है | एक समुच्चय की ऊर्जा अधिक और दूसरे समुच्चय की ऊर्जा कम होती है | परन्तु दोनों समुच्चयों की उर्जाओ का योग d-कक्षको की मूल ऊर्जा के बराबर ही रहता है | इस प्रकार के बने d-कक्षको के समुच्चयों की उर्जाओ में अन्तर `(Delta_(0))` को क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा कहते है |
यदि `Delta_(0)ltP` है, तब इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता है और `d^(4)` विन्यास में चौथा इलेक्ट्रॉन `e_(g)` कक्षक में प्रवेश करता है | धातु आयन का विन्यास `t_(2g)^(3)e_(g)^(1)` होता है और उच्च स्पिन वाला संकर बनता है | ऐसे लिगेंडो का दुर्बल क्षेत्र प्रभाव होता है यदि `Delta_(0)gtP` है, तब `t_(2g)` कक्षको में पहले 6 इलेक्ट्रॉन प्रवेश करते है तथा उनका युग्मन होता है इस प्रकार के लिगेंडो को प्रबल क्षेत्र वाला लिगेंड कहते है और निम्न स्पिन वाले संकर बनते है |