Use app×
QUIZARD
QUIZARD
JEE MAIN 2026 Crash Course
NEET 2026 Crash Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
12.0k views
in Accounts by (60.4k points)
closed by

साझेदारी की परिभाषा दीजिए एवं इसकी विशेषताएँ बताइए।

1 Answer

+1 vote
by (59.6k points)
selected by
 
Best answer

साझेदारी का अर्थ और परिभाषा (Meaning & Definition of Partnership) :

लाभ कमाने के उद्देश्य से जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर कोई वैधानिक कार्य करते हैं तो उसे साझेदारी कहते हैं। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में 1 अक्टूबर,1932 से भारतीय साझेदारी अधिनियम लागू है। जो व्यक्ति साझेदारी में शामिल होते हैं वे व्यक्तिगत रूप से साझेदार तथा सामूहिक रूप से फर्म कहलाते हैं।

भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 4 के अनुसार, “साझेदारी उन व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक सम्बन्ध है जो किसी ऐसे व्यवसाय के लाभों को बाँटने के लिए सहमत हुए है जिसका संचालन उन सभी के द्वारा या उन सभी की ओर से किसी एक के द्वारा किया जाता है।”

सर फ्रेडरिक पालाक के अनुसार, “साझेदारी उन व्यक्तियों के बीच का सम्बन्ध है जिन्होंने सबके द्वारा अथवा सबकी ओर से उनमें से किसी के द्वारा किये जाने वाले व्यापार के लाभों में हिस्सा बाँटने के लिए ठहराव किया है।”

साझेदारी की विशेषताएँ (Characteristics of Partnership) :

1. दो या दो से अधिक व्यक्ति (Two or More Persons) – साझेदारी की स्थापना के लिए अनुबन्ध करने योग्य कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है। भारतीय साझेदारी अधिनियम में अधिकतम सदस्यों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है लेकिन भारतीय कम्पनी अधिनियम के अनुसार वर्तमान में एक साझेदारी में अधिकतम 50 सदस्य हो सकते हैं।

2. अनुबन्ध या समझौता (Agreement) - साझेदारी का जन्म (निर्माण) केवल ठहराव करके ही होता है। साझेदारी अधिनियम की धारा 5 में स्पष्ट लिखा है कि “साझेदारी का जन्म अनुबन्ध से होता है किसी स्थिति के कारण से नहीं ।”

3. व्यवसाय का होना (There must be a business) - साझेदारी व्यवसाय का निर्माण किसी व्यवसाय को चलाने के लिए किया जाता है, किसी सम्पत्ति को मिलकर खरीदना तथा उसका मालिक बनना व्यवसाय नहीं कहलायेगा।

4. लाभ का विभाजन (Sharing of the Profit) - साझेदारी के अन्तर्गत यह भी ठहराव किया जाता है कि साझेदारी में जो भी कारोबार कर रहे हैं उसमें होने वाले लाभ-हानि को साझेदारों में आपस में बाँटा जायेगा।

5. स्वामी और एजेण्ट को सम्बन्ध (Relationship of Principal and Agent) - प्रत्येक साझेदार अपनी फर्म का एजेण्ट भी है और स्वामी भी । सभी साझेदारों के बीच आपस में एक पारस्परिक एजेन्सी का सम्बन्ध विद्यमान होता है।

6. साझेदारों के उत्तरदायित्व (Liability of Partners) - सभी साझेदार मिलकर फर्म का संचालन कर सकते हैं या उनकी तरफ से कोई एक या अधिक साझेदार मिलकर संचालन कर सकते हैं। लेकिन प्रत्येक साझेदार फर्म के कार्यों के लिए सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है।

7. असीमित दायित्व (Unlimited Liability) – साझेदारी में प्रत्येक साझेदार को दायित्व असीमित होता है।

8. पृथक अस्तित्व नहीं (No Separate Existence) – साझेदारी का साझेदारों से पृथक अस्तित्व नहीं होता है अतः फर्म से सम्बन्धित सभी अनुबन्ध फर्म पर लागू होने के साथ-साथ प्रत्येक साझेदार पर भी सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप से लागू होते हैं।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...