NCERT Solutions Class 10, Hindi, Sanchayan, पाठ- 1, हरिहर काका
लेखक - मिथिलेश्वर
बोध प्रश्न
1. कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?
उत्तर
कथावाचक और हरिहर काका बीच स्नेह का संबंध था| इसके कई कारण हैं| पहला हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे। दूसरा हरिहर काका ने कथावाचक को बहुत प्यार-दुलार दिया था। हरिहर काका उसे बचपन में अपने कंधे पर बैठाकर गाँव भर में घुमाया करते थे। हरिहर काका की कोई संतान नहीं थी इसलिए वे कथावाचक को एक पिता की तरह प्यार और देखभाल करते थे। जब लेखक बड़ा हुआ, तो उसकी पहली मित्रता हरिहर काका के साथ हुई थी। वे उससे कुछ नहीं छिपाते थे। इन्हीं कारणों के कारण उन दोनों के बीच उम्र का अंतर होते हुए भी गहरा आत्मीयपूर्ण संबंध था।
2. हरिहर काका को मंहत और भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?
उत्तर
हरिहर काका एक निःसंतान व्यक्ति थे। उनके पास पंद्रह बीघे जमीन थी। हरिहर काका के भाइयों ने पहले तो उनकी खूब देखभाल की परंतु धीरे-धीरे उनकी पत्नियों ने काका के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। महंत को जब यह पता चला तो वह बहला-फुसलाकर काका को ठाकुरबारी ले आए और उन्हें वहाँ रखकर उनकी खूब सेवा की। साथ ही उसने काका से उनकी पंद्रह बीघे जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखवाने की बात की। काका ने जब ऐसा करने से मना किया तो महंत ने उन्हें मार-पीटकर जबरदस्ती कागज़ों पर अँगूठा लगवा दिया। इस बात पर दोनों पक्षों में जमकर झगड़ा हुआ। दोनों ही पक्ष स्वार्थी थे। वे हरिहर काका को सुख नहीं दुख देने पर उतारू थे। उनका हित नहीं अहित करने के पक्ष में थे। दोनों का लक्ष्य जमीन हथियाना था। इसके लिए दोनों ने ही काका के साथ छल व बल का प्रयोग किया। इसी कारण हरिहर काका को अपने भाई और महंत एक ही श्रेणी के लगने लगे।
3. ठाकुर बाड़ी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर
कहा जाता है गाँव के लोग भोले होते हैं। असल में गाँव के लोग अंधविश्वासी धर्मभीरू होते हैं। मंदिर जैसे स्थान को पवित्र, निश्कलंक, ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। पुजारी, पुरोहित मंहत जैसे जितने भी धर्म के ठेकेदार हैं उनपर अगाध श्रद्धा रखते हैं। वे चाहे कितने भी पतित, स्वार्थी और नीच हों पर उनका विरोध करते वे डरते हैं। इसी कारण ठाकुर बाड़ी के प्रति गाँव वालों की अपार श्रद्धा थी। उनका हर सुख-दुख उससे जुड़ा था।
4. अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। वे जानते हैं कि जब तक उनकी जमीन-जायदाद उनके पास है, तब तक सभी उनका आदर करते हैं। ठाकुरबारी के महंत उनको इसलिए समझाते हैं क्योंकि वह उनकी जमीन ठाकुरबारी के नाम करवाना चाहते हैं। उनके भाई उनका आदर-सत्कार जमीन के कारण करते हैं। हरिहर काका ऐसे कई लोगों को जानते हैं, जिन्होंने अपने जीते जी अपनी जमीन किसी और के नाम लिख दी थी। बाद में उनका जीवन नरक बन गया था। वे नहीं चाहते थे कि उनके साथ भी ऐसा हो।
5. हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे। उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर
हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले लोग महंत के आदमी थे। उसने हरिहर काका को कई बार ज़मीन जायदाद ठाकुर बाड़ी के नाम कर देने को कहा परन्तु वो नही मान रहे थे। मंहत ने अपने चेले साधुसंतो के साथ मिलकर उनके हाथ पैर बांध दिए, मुहँ में कपड़ा ठूँस दिया और जबरदस्ती अँगूठे के निशान लिए, उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। जब पुलिस आई तो स्वयं गुप्त दरवाज़े से भाग गए।
6. हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर
हरिहर काका के मामले में गाँव के लोगों के दो वर्ग बन गए थे। दोनों ही पक्ष के लोगों की अपनी-अपनी राय थी। आधे लोग परिवार वालों के पक्ष में थे। उनका कहना था कि काका की जमीन पर हक तो उनके परिवार वालों का बनता है। काका को अपनी ज़मीन-जायदाद अपने भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए, ऐसा न करना अन्याय होगा। दूसरे पक्ष के लोगों का मानना था कि महंत हरिहर की ज़मीन उनको मोक्ष दिलाने के लिए लेना चाहता है। काका को अपनी ज़मीन ठाकुरजी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उनका नाम या यश भी फैलेगा और उन्हें सीधे बैकुंठ की प्राप्ति होगी। इस प्रकार जितने मुँह थे उतनी बातें होने लगीं। प्रत्येक का अपना मत था। इन सबको एक कारण था कि हरिहर काका विधुर थे और उनकी अपनी कोई संतान न थी जो उनका उत्तराधिकारी बनता। पंद्रह बीघे जमीन के कारण इन सबका लालच स्वाभाविक था।
7. कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, "अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।"
उत्तर
लेखक ने यह इसलिए कहा है, क्योंकि अज्ञान की ही स्थिति में अर्थात् सांसारिक आसक्ति या नश्वर संसार के सुख की इच्छा के कारण ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। जब उन्हें यह ज्ञान हो जाता है कि मृत्यु तो अटल सत्य है, क्योंकि जो इस धरती पर जन्म लेता है, उसकी मृत्यु तो निश्चित है तथा जब यह शरीर जीर्ण-शीर्ण हो जाता है, तो इस मृत्यु के माध्यम से प्रभु हमें नया शरीर और नया जीवन देते हैं, तब वे मृत्यु से घबराते नहीं, डरते नहीं, बल्कि मृत्यु आने पर उसका स्वागत करते हैं, अर्थात् उसका वरण करते हैं।
8. समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर
आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज़्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं, अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से मिलते हैं। अमीर रिश्तेदारों का सम्मान करते हैं, उनसे मिलने को आतुर रहते हैं जबकि गरीब रिश्तेदारों से कतराते हैं। केवल स्वार्थ सिद्धि की अहमियत रह गई है। आए दिन हम अखबारों में समाचार पढ़ते हैं कि ज़मीनजाय़दाद, पैसे जेवर के लिए लोग हत्या व अपहरण जैसे नीच कार्य कर जाते हैं।
9. यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी मदद कैसे करेंगे?
उत्तर
यदि हमारे आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो हम उसकी पूरी तरह मदद करने की कोशिश करेंगे। उनसे मिलकर उनके दुख का कारण पता करेंगे, उन्हें अहसास दिलाएँगे कि वे अकेले नहीं हैं। सबसे पहले तो यह विश्वास कराएँगे कि सभी व्यक्ति लालची नहीं होते हैं। इस तरह मौन रह कर दूसरों को मौका न दें बल्कि उल्लास से शेष जीवन बिताएँ। रिश्तेदारों से मिलकर उनके संबंध सुधारने का प्रयत्न करेंगे। स्वयंसेवी संस्था से मिलकर भी उनकी समस्या को सुलझाने का प्रयास करेंगें।
10. हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
हरिहर काका का जिस प्रकार से धर्म और घर अर्थात् खून के रिश्तों से विश्वास उठ चुका था, उससे वे मानसिक रूप से बीमार हो गए थे। वे बिलकुल चुप रहते थे। किसी की भी कोई बात का कोई उत्तर नहीं देते थे। वर्तमान दृष्टि से यदि देखा जाए तो आज मीडिया की अहम् भूमिका है। लोगों को सच्चाई से अवगत करना उसका मुख्य कार्य है। जन-संचार के दुवारा घर-घर में बात पहुँचाई जा सकती है। इसके द्वारा लोगों तथा समाज तक बात पहुँचाना आसान है। यदि हरिहर काका की बात मीडिया तक पहुँच जाती तो शायद स्थिति थोड़ी भिन्न होती। वे अपनी बात लोगों के सामने रख पाते और स्वयं पर हुए अत्याचारों के विषय में लोगों को जागृत करते। हरिहर काका को मीडिया ठीक प्रकार से न्याय दिलवाती। उन्हें स्वतंत्र रूप से जीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाने में मदद करती। जिस प्रकार के दबाव में वे जी रहे थे वैसी स्थिति मीडिया की सहायता मिलने के बाद नहीं होती।