Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2026 Crash Course
NEET 2026 Crash Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
+2 votes
327 views
in Hindi by (43.0k points)
closed by

NCERT Solutions Class 12, Hindi, Aroh, पाठ- 6, बादल राग

Mastering this chapter and aiming for top scores in Board exams and other competitive tests hinge on leveraging NCERT Solutions. These expert-crafted resources provide in-depth explanations of key concepts covered in the chapter, meticulously aligned with the CBSE syllabus to ensure thorough exam readiness.

This article delves into the significance of NCERT solutions tailored for Class 12 Hindi, highlighting their structured approach and the tangible benefits they bring to consistent learning.

In these NCERT Solutions for Class 12 Hindi, we have discussed all types of NCERT intext questions and exercise questions.

Our NCERT Solutions for Class 12 Hindi provide detailed explanations to assist students with their homework and assignments. Proper command and ample practice of topic-related questions provided by our NCERT solutions is the most effective way to achieve full marks in your exams subjects like Science, Maths, English and Hindi will become easy to study if you have access to NCERT Solution. Begin studying right away to ace your exams.

With solutions and practice questions just a click away, studying becomes effortless and adaptable to your schedule whenever you need them.

1 Answer

+2 votes
by (43.0k points)
selected by
 
Best answer

NCERT Solutions Class 12, Hindi, Aroh, पाठ- 6, बादल राग

लेखक - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

कविता के साथ

1. अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर

प्रस्तुत पंक्ति में ‘दुख की छाया’ मानव जीवन में आने वाले दुखों, कष्टों, मुसीबतों एवं प्रतिकूल परिस्थितियों को कहा गया है। यह इसलिए कहा गया है क्योंकि सुख-दुःख मानव-जीवन के दो पक्ष हैं जो जीवनभर आते-जाते रहते हैं और दोनों ही अस्थिर हैं।

2. अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?

उत्तर

‘अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर’ पंक्ति में पूँजीपति या शोषक व धनी-वर्ग के लोगों की ओर संकेत किया गया है। ये धनी वर्ग के लोग क्रांति के दूत बादल की विद्रोहपूर्ण बिजली गिरने से उन्नति के शिखर से पृथ्वी तल पर गिर जाते हैं।

3. विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर

प्रस्तुत पंक्ति में ‘विप्लव रव’ से तात्पर्य क्रांति के विद्रोहपूर्ण शब्दों या गर्जना से है। वह ऐसे लोगों की गर्जना या स्वर है जो सदियों से पूँजीपति वर्ग के शोषण का शिकार होकर दयनीय जीवन जी रहे हैं। ‘छोटे ही हैं शोभा पाते’ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि क्रांति का विनाशकारी प्रभाव सदा उच्च या शोषक वर्ग के लोगों पर ही होता है। इस विद्रोह का निम्न या छोटे वर्ग के जनसामान्य पर कोई विनाशकारी प्रभाव नहीं होता। उच्च वर्ग तो क्रांति के शब्दों से भयभीत होता है लेकिन छोटे वर्ग अर्थात जनसामान्य वर्ग के लोग प्रसन्न हो उठते हैं तथा जीवन में शोषण की मार से निकलकर समृद्धि प्राप्त करते हैं।

4. बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?

उत्तर

‘बादल राग’ निराला द्वारा रचित एक प्रतीकात्मक कविता है जिसमें कवि ने बादलों का क्रांति के रूप में आह्वान किया है। इस कविता में बादलों के आगमन से पृथ्वी के गर्भ में सोए हुए अंकुर अंकुरित हो उठते हैं। वे अपने मन में नवजीवन का संचार कर अनेक आशाओं के साथ बादलों की ओर देख रहे हैं।

बादलों की घनघोर गर्जना से संपूर्ण संसार भयभीत हो उठता है। उन्नति के शिखर पर पहुँचे सैकड़ों वीर पृथ्वी पर सो जाते हैं। विशालकाय उच्च वर्ग के लोग घायल होकर मर जाते हैं। लेकिन शोषित वर्ग के प्रतीक छोटे भारवाले छोटे-छोटे पौधे हँसते-मुसकराते रहते हैं। वे अपार हरियाली से भरकर, हिल-हिलकर तथा खिलखिलाते हुए हाथ हिलाते रहते हैं। कवि ने इसके माध्यम से बादलों का गर्जना-चमकना, मूसलाधार वर्षा, छोटे-छोटे पौधों का हवा में हाथ मिलाना, कमल के फूल पर जल की बूंद टपकना और कीचड़ का साफ होना दर्शाया है।

व्याख्या कीजिये

1. तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

उत्तर

कवि बादलों को संबोधित करते हुए कहता है कि इस समीर रूपी सागर में तू तैरता है। अर्थात लोगों की इच्छा से युक्त उनकी नाव हवा रूपी सागर में तैरती है। संसार में व्याप्त सुख सदैव साथ नहीं रहते हैं। इसी कारण इन्हें अस्थिर कहा गया है अर्थात जो स्थिर न रहें। इन पर दुख की छाया हमेशा मंडराती रहती है। संसार के लोगों का हृदय दुखों के कारण दग्ध है। ऐसे हृदय पर क्रांति रूपी माया विद्यमान है। हे बादल! तुम आओ और इस दुखी हृदय वाले संसार को अपनी क्रांति रूपी गर्जना से आनंद प्रदान करो। अर्थात जैसे वर्षाकाल में बादलों की गर्जना सुनकर गर्मी से बेहाल लोगों को खुशी प्रदान होती है, वैसे ही शोषण तथा अत्याचार से परेशान लोगों को क्रांति से खुशी प्राप्त होती है।

2. अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विलप्व-प्लावन

उत्तर

प्रस्तुत पंक्ति में कवि पूँजीपतियों पर व्यंग्य कर रहा है। उसके अनुसार पूँजीपति लोग ऊँची-ऊँची इमारतों में रहते हैं। ये सारी उम्र गरीबों, किसानों तथा मज़दूरों पर अत्याचार करते हैं तथा उनका शोषण करते हैं। अतः उसके लिए पूँजीपतियों के रहने के मकान नहीं हैं, ये आतंक भवन हैं। जिनसे सारे अत्याचारों तथा शोषण का जन्म होता है। कवि आगे कहता है कि लेकिन यह भी स्मरणीय है कि क्रांति का आगाज़ हमेशा गरीबों में ही होता है। ये लोग ही शोषण का सबसे बड़ा शिकार होते हैं। कवि ने इन्हें जल प्लावन की संज्ञा दी है। वह कहता है कि क्रांति रूपी बारिश का पानी जब एकत्र होकर बहता है, तो वह कीचड़ से युक्त पृथ्वी को डूबो देने का सामर्थ्य रखता है। कवि ने पूंजीपतियों को कीचड़ तथा की संज्ञा दी है, जिसे क्रांति रूपी जल-प्लावन डूबो देता है।

कला की बात

1. पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?

उत्तर

हमें प्रकृति का हँसते हुए निर्धन वर्ग का मानवीय रूप पसंद आया क्योंकि समाज में सदा से उच्च वर्ग या पूँजीपति वर्ग के शोषण के कारण निर्धन वर्ग दबता रहा है वह जीवन में आतंकित होकर रहता है। शोषण की पीड़ा के कारण वह तो हँसना ही भूल गया है। लेकिन आज क्रांति के कारण उसे अपने शोषण का अंत दिखाई दे रहा है।

2. कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए

उत्तर

कविता में समीर-सागर, रण-तरी तथा आतंक-भव के अंदर रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है। तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,

3. इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खड़ों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बंध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!, उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?

उत्तर

निम्नलिखित संबोधनों की व्याख्या इस प्रकार हैं-

  • अरे वर्ष के हर्ष!- बादलों को ऐसा संबोधन दिया गया है क्योंकि बादल वर्ष में एक बार आते हैं। जब आते हैं, तो पूरी पृथ्वी को बारिश रूपी सौगात दे जाते हैं। वर्षा का जल पाकर किसान, लोग, धरती तथा जीव-जन्तु सब हर्ष से भर जाते हैं।
  • मेरे पागल बादल!- बादल मतवाले होते हैं। जहाँ मन करता है, वहीं बरस जाते हैं। पागल व्यक्ति के समान गर्जना करते हैं, हल्ला मचाते हैं और यहाँ से वहाँ घूमते-रहते हैं। इसलिए उन्हें पागल कहा गया है।
  • ऐ निर्बंध!- बादल बंधन से मुक्त होते हैं। इन्हें कोई बंधन में नहीं बांध सकता है। जहाँ इनका मन होता है, वहाँ जाते हैं और वर्षा करते हैं।
  • ऐ स्वच्छंद!- बादल स्वच्छंद होते हैं। इन्हें कोई कैद में नहीं रख सकता है। स्वच्छंदतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।
  • ऐ उद्दाम!- बादल बहुत क्रूर तथा प्रचण्ड होते हैं। वर्षा आने से पूर्व यह आकाश में कोहराम मचा देते हैं। मनुष्य को आकाश में अपने होने की सूचना देते हैं। तेज़ आंधी तथा तूफान चलने लगता है। मनुष्य इनकी उपस्थिति को नकार नहीं सकता है।
  • ऐ सम्राट!- बादल सम्राट हैं। वे किसी की नहीं सुनते हैं, स्वतंत्रतापूर्वक घूमते हैं, अपनी शक्ति से लोगों को डरा देते हैं, बंधन मुक्त होते हैं, लोगों का पोषण करने वाले हैं, सारे संसार में विचरण करते हैं। उनके इन गुणों के कारण उन्हें सम्राट कहा गया है।
  • ऐ विप्लव के प्लावन!- प्रलयकारी हैं। बादल में ऐसी शक्ति हैं कि वे चाहे तो प्रलय ला सकते हैं। जब बादले फट जाते हैं, तो चारों तरफ भयंकर तबाही मच जाती है। इसी कारण उन्हें ऐ विप्लव के प्लावन कहा गया है।
  • ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!- बादल ऐसे सुकुमार शिशु हैं, जो सदियों से हमारे साथ हैं। अपने सुंदर-सुंदर रुपों से ये हमें बच्चे के समान जान पड़ते हैं। इनका यह स्वरूप सदियों से चला आ रहा है।

4. कवि बादलों को किस रूप में देखता है? कालिदास ने मेघदूत काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा। आप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए।

उत्तर

वह बादलों के द्वारा क्रांति लाकर समाज में शोषण को खत्म करना चाहता है
ताकि निर्धन वर्ग भी जीवन जी सके।
बादल आए, बादल आए
नन्हे-मुन्ने बादल आए।
कुछ खुशियाँ, कुछ गम
पिटारा-सा भर लाए।
मिट्टी को प्यार जताने
चहुँ ओर खुशियाँ दिखाने
काले-काले बादल आए।
बादल आए, बादल आए।
नन्हे-मुन्ने बादल आए॥
कालिदास ने मेघदूत काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा था। बादलों को देवदूत के रूप में देखा जा सकता है जो किसान की फ़सल को जीवन देने आते हैं।

5. कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे- अस्थिर सुख। सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?

उत्तर

कविता में निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया गया है।-

दग्ध हृदय- हृदय के आगे दग्ध विशेषण लिखकर उसके दुख को बहुत अच्छी तरह स्पष्ट किया है।

निर्दय विप्लव- विप्लव के क्रूर स्वरूप को दिखाने के लिए निर्दय शब्द से प्रभाव पड़ता है।

ऊँचा कर सिर- इसमें ऊँचा विशेषण शब्द लगाकर प्रभाव पड़ता है। इससे उनका गौरवशाली स्वरूप उभरकर आता है।

अचल शरीर- शरीर के आगे अचल शब्द लगाकर उसके स्वरूप को स्थायी बताया गया है।

आतंक भवन- भवन के स्वरूप को भयानक बताने के लिए आतंक शब्द लगाया गया है। यहाँ आतंक का जन्म होता है और यही वह पलता है।

सुकुमार शरीर- इनका शरीर बहुत कोमल होता है। अतः उसे बताने के लिए सुकुमार शब्द लगाया गया है। इससे बहुत प्रभाव पड़ता है।

जीर्ण बाहु- बाहों की कमज़ोरी को दर्शाने के लिए जीर्ण शब्द लगाया गया है।

जीर्ण शरीर- शरीर के कमज़ोर स्वरूप को दर्शाने के लिए जीर्ण शब्द लगाया गया है।

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...