NCERT Solutions Class 12, Hindi, Vitan, पाठ "डायरी के पन्ने"
लेखक - ऐन फैंक
1. ‘यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज हैं। एक ऐसी आवाज, जो नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की हैं।” इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के सदर्भ में पठित अशों पर विचार करें।
उत्तर
यह बात बिलकुल सही है कि यह डायरी नाजियों द्वारा यहूदियों पर किए गए अत्याचारों का खुला दस्तावेज है। इससे हमें द्रवितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों की स्थिति, भय, भूख, आतंक, बीमारी, लाचारी आदि सभी स्थितियों को बहुत करीब से देखने व अनुभव करने को मिलता है। यह एकमात्र ऐसी डायरी है जो उस साधारण-सी लड़की ऐन ने किसी ऐतिहासिक उद्देश्य से नहीं, अपितु अपने एकांत अज्ञातवास में समय बिताने के उद्देश्य से लिखी थी। वह कोई महान संत या कवि नहीं थी, फिर भी उसकी आवाज से हमें यहूदियों का दुख जानने का अवसर प्राप्त होता है। दूसरे विश्व-युद्ध में हिटलर ने यहूदियों को अनगिनत यातनाएँ दीं तथा उन्हें भूमिगत जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया था।
डर इतना था कि ये लोग सूटकेस लेकर भी सड़क पर नहीं निकल सकते थे। इन्हें दिन का सूर्य व रात का चंद्रमा देखना भी वर्जित था। इन्हें राशन की कमी रहती थी तथा बिजली का कोटा भी था। ये फटे-पुराने कपड़े और घिसे-पिटे जूतों से काम चलाते थे। ऐन फ्रैंक की डायरी में भय, आतंक, भूख, प्यास, मानवीय संवेदना हवाई हमले का डर, पकड़े जाने का डर, किशोर मन के सपने, प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, अकेलेपन की पीड़ा आदि का वर्णन है। इस डायरी में कल्पना का अंश नाममात्र का हो सकता है। इस तरह साधारण लड़की द्वारा रचित हुए भी यहा साठ लखयही लोग की आवाज बना जाता है। अता इत्या हत्यु की यहा टिप्पिण विकुल सही है।
2. ‘काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गभीरता से समझ पाता। अफसोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला। ” क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी-लेखन का कारण छिपा हैं?
उत्तर
हमें लगता है कि अकेलापन ही ऐन फ्रैंक के डायरी लेखन का कारण बना। यद्यपि वह अपने परिवार और वॉन दंपत्ति के साथ अज्ञातवास में दो वर्षों तक रही लेकिन इस दौरान किसी ने उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया। पीटर यद्यपि उससे प्यार करता है लेकिन केवल दोस्त की तरह। जबकि हर किसी की शारीरिक जरूरतें होती हैं लेकिन पीटर उसकी इस ज़रूरत को नहीं समझ सका। माता-पिता और बहन ने भी कभी उसकी भावनाओं को गंभीरता से नहीं। समझी शायद इसी कारण वह डायरी लिखने लगी।
3. ‘प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें-इस की स्वतत्रता स्त्री सी छीनकर हमारी विश्व-व्यवस्था न न सिर्फ स्त्री की व्यक्तित्व-विकास के अनक अवसरों से वचित किया है बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की हैं।’ ऐन की डायरी के 13 जून, 1944 के अश में व्यक्त विचारों के सदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूंढ़े।
उत्तर
पूरे विश्व में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। पुरुषों ने सदा ही औरतों पर अधिकार किया है। उन्होंने औरतों पर इस आधार पर शासन करना शुरू किया कि औरतें उनसे कमज़ोर हैं। पुरुष का काम कमाई करना है जबकि स्त्री का कार्य बच्चे पैदा करना और उन्हें पाल-पोसकर बड़ा करना है। पुरुष औरत से शारीरिक संतुष्टि की अपेक्षा रखता है। इस शारीरिक आनंद में। यदि औरत गर्भवती हो जाए तो पुरुष कहता है कि बच्चा पैदा कर लो। केवल अपने स्वार्थ के लिए पुरुषों ने औरतों पर अन्याय किया है। जो अधिकार प्रकृति ने औरत को दिया उसका अनुचित लाभ पुरुष ने उठाया है। इस कारण पूरे विश्व में जनसंख्या की समस्या बढ़ी है।
4. “ऐन की डायरी अगर एक एतिहासिक शेर का जीवत दस्तावेज है, तरे साथ ही उसके निजी सुख-दुख और भावनात्मक उथलपुथल का र्भा। इन मुष्ठा’ में दानी’ का फ़र्क मिट गया तो ” हस कथन पर विचार करतै हुए अपनी सहमति या असहमति तर्कपूवंक व्यक्त करों।
उत्तर
ऐन फ्रैंक की डायरी से हमें उसके जीवन व तत्कालीन परिवेश का परिचय मिलता है। इसमें ऐतिहासिक दूब्रितीय विश्व युदृध की घटनाओ, नाजियों के अत्याचारों आदि का वर्णन मिलता है, साथ ही ऐन के निजी सुरद्र-दुख व भावनात्मक क्षण भी व्यक्त हुए हैं। ऐन ने यहूदी परिवारों की अकथनीय यंत्रणाआँ व पीडाओं का चित्रण किया है। लये अरसे तक गुप्त स्थानों पर छिपे रहना, गोलीबारी का आतंक, भूख, गरीबी, बीमारी, मानसिक तनाव, जानवरों जैसा जीवन, चारी का भय, नाजियों का आतंक आरि अमानवीय दृश्य मिलते हैं।
साथ ही ऐन का अपने परिवार, विशेषता माँ और सहयोगियों से मतभेद, डाँट फटकार, खीझ, निराशा, एकांत का दुख, दूसरों दवारा स्वय पर किए गए आक्षेप, प्रकृति के लिए बेचैनी, पीटर के साथ सबंध आदि का वर्णन मिलता है। उसके व्यक्तिगत सुख-दुख भी इन पृष्ठों में युदृध की विभीषिका में एकमेक हो गए हैँ। इस प्रकार यह डायरी एक ऐतिहासिक दस्तावेज होते हुए भी ऐन के व्यक्तिगत सुख-दुख और भावनात्मक उथल-पुथल को व्यक्त करती है।
5. ऐन ने अपनी डायरी ‘किट्टी’ (एक निजीव गुड़िया) को सबोधित चिट्ठी की शक्ल में लिखने की जरूरत क्यों महसूस की होगी?
उत्तर
ऐन की डायरी से पता चलता है कि वह एक संवेदनशील व अंतर्मुखी लड़की थी। अज्ञातवास में आठ सदस्य रह रहे थे जिनमें वह सबसे छोटी थी। वह तेरह वर्ष की थी। अत: भावनाओं के वेग का सर्वाधिक होना स्वाभ Iाविक है। हालाँकि यहाँ पर उसकी भावनाओं को समझने वाला कोई नहीं है। वह कहती भी है-“काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफ़सोस, ऐसा व्यक्ति अब तक नहीं मिला है, इसलिए तलाश जारी रहेगी।” ऐन खुद को औरों से बेहतर समझती है। पीटर से भी वह खुलकर बात नहीं करती। वह अपनी प्रिय व एकांत की सहयोगिनी गुड़िया से बात करती है तथा चिट्ठी के रूप में अपनी भावनाएँ व्यक्त करती है।