NCERT Solutions Class 11, Hindi, Aroh, पाठ- 13, गजल
लेखक - दुष्यंत कुमार
गज़ल के साथ
1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है| क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें|
उत्तर
अंतिम शेर में गुलमोहर का शाब्दिक अर्थ तो एक खास फूलदार वृक्ष से ही है, पर सांकेतिक अर्थ बड़ा मार्मिक है। इस शेर में कवि दुष्यंत कुमारे यह बताना चाहते हैं कि जीवन वही उत्तम है जो अपने घर की सुखद छाया में है और मरना वह उत्तम है कि दूसरों को सुख देने के लिए मरा जा सके।
2. पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में| अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्व है?
उत्तर
पहली बार ‘चिराग’ शब्द का बहुवचन में प्रयोग किया गया है| इसका अर्थ हर घर के खुशियों के लिए प्रयुक्त हुआ है| कवि ने वर्तमान समाज व्यवस्था पर व्यंग्य किया है जिसका उद्देश्य प्रत्येक के लिए सुख-सुविधाओं के साधन उपलब्ध कराना था|
दूसरी बार यह एकवचन में प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ यह है कि पूरे शहर या समाज के लिए एक भी सुख-सुविधा उपलब्ध नहीं है| जिस व्यवस्था में सभी के लिए खुशियों की आशा की गई थी, वहाँ पूरा समाज एक छोटे-से सुख के लिए तरस रहा है|
3. ग़ज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें| यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?
उत्तर
न हो कमीज़ तो पावों से पेट बँक लेंगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए।
यहाँ उन लोगों की ओर इशारा किया गया है जो हीनता और तंगहाली अथवा अभाव के समय तन ढकने के लिए कमीज़ पाने का प्रयास नहीं करते वरन् उस अभावग्रस्त दशा में अपने पैरों से पेट ढककर जीवन जी लेते हैं। उनके लिए मुनासिब शब्द का प्रयोग करता हुआ कवि यह भी स्पष्ट कर देना चाहता है कि जीवन की यह शैली अपनानेवाले ही आज जी सकते हैं।
4. आशय स्पष्ट करें:
तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबान शायर की,
वे एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए
उत्तर
इसमें कवि शायरों और शासक के संबंधों के बारे में बताता है। शायर सत्ता के खिलाफ लोगों को जागरूक करता है। इससे सत्ता को क्रांति का खतरा लगता है। वे स्वयं को बचाने के लिए शायरों की जबान अर्थात् कविताओं पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। जैसे गजल के छद के लिए बंधन की सावधानी जरूरी है, उसी तरह शासकों को भी अपनी सत्ता कायम रखने के लिए विरोध को दबाना जरूरी है।
गज़ल के आस-पास
1. दुष्यंत की इस ग़ज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है| इस कथन पर विचार करें|
उत्तर
गज़ल को बार-बार पढ़कर सहपाठियों के साथ विचार करें, परस्पर चर्चा करें कि दुष्यंत किस बात से खिन्न हैं और व्यवस्था में बदलाव क्यों चाहते हैं? उपर्युक्त प्रश्न परिचर्चा के आयोजन के लिए है।
2. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है
दुष्यंत की ग़ज़ल का चौथा शेर पढ़ें और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है|
उत्तर
कवि दुष्यंत के ग़ज़ल के चौथे शेर में कवि दुष्यंत ने ईश्वर के अस्तित्व के कल्पना मात्र से व्यक्ति के आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करने की बात कही है| ईश्वर के होने का सुंदर सपना ही लोगों की आँखों को सुकून देता है| इस प्रकार शेर में कवि ने उन लोगों पर व्यंग्य किया है जो वास्तविकता से दूर कल्पना मात्र से ही दिल को खुश कर लेते हैं|
गालिब के शेर में भी स्वर्ग की वास्तविकता से सभी परिचित हैं लेकिन दिल को खुश करने के लिए उसकी सुंदर कल्पना करते हैं| इस प्रकार दोनों शेरों में वास्तविकता को परे रखकर काल्पनिक दुनिया के बारे में वर्णन किया गया है|
3. यहाँ दरख्तों के साये में धुप लगती है’ यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है, जहाँ इंसाफ नहीं मिल पाता| कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें|
(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है,. ..........................
(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, ........................
(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, ..........................
(घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, ........................
उत्तर
(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, जहाँ एक-दूसरे पर विश्वास और उसके प्रति प्रेम का भाव नहीं रहता|
(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, जहाँ छात्रों को पढ़ाया नहीं जाता|
(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, जहाँ रोगियों का ठीक से इलाज नहीं होता|
(घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, जहाँ जनता की सुनवाई नहीं होती तथा लोगों को सुरक्षा नहीं मिलती|