NCERT Solutions Class 11, Hindi, Antra, पाठ- 16, घर में वापसी
लेखक - धूमिल
प्रश्न-अभ्यास
1. घर एक परिवार है, परिवार में पाँच सदस्य हैं, किंतु कवि पाँच सदस्य नहीं उन्हें पाँच जोड़ी आँखें क्यों मानता है।
उत्तर
कवि उन्हें परिवार के पाँच सदस्य नहीं मानकर पाँच जोड़ी आँखें इसलिए मानता है क्योंकि गरीबी के कारण वे पाँचों परस्पर खुलकर संबाद नहीं करते। उनके समस्त रिश्तों-नातों, स्नेह और अपनत्व के बीच गरीबी की दीवार खड़ी हो गई है। गरीबी से निंतर संघर्ष करते-करते उनमें अब इतनी भी शक्ति शेष नहीं रह गई कि वे आपसी रिश्तों में गरमाहट पैदा कर सकें। वे बेबस होकर एक-दूसरे को देखते रह जाते हैं। उनकी आँखंं भी निस्तेज तथा आशा-रहित हो गई हैं।
2. 'पत्नी की आँखें आँखें नहीं हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं' से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर
कवि इस कथन के माध्यम से यह स्पष्ट करता है कि उसकी पत्नी उसके अभावग्रस्त जीवन में उसे बहुत सहारा देती है। वह उसे निरंतर उत्साहित करती रहती है तथा अभावों में भी निराश नहीं होने देती। उससे प्रेरणा प्राप्त करके ही वह अपनी गरीबी से संघर्ष कर रहा है।
3. 'वैसे हम स्वजन हैं, करीब है क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं' से कवि का क्या आशय है? अगर अमीर होते तो क्या स्वजन और करीब नहीं होते?
उत्तर
इस कथन के माध्यम से कवि स्पष्ट करता है कि निस्संदेह वे स्वजन हैं, एक-दूसरे की भावनाओं को अच्छी तरह से समझते हैं और करीब हैं परन्तु वे अत्यधिक गरीब हैं जिसके कारण उनके पारिवारिक संबंधों में बिखराव और खटास सी आ गयी है। वे अपने हृदय के सुख-दुख को भी ठीक से एक-दूसरे से कह नहीं पाते। इसलिए उनके संबंध वास्तव में होकर भी नहीं होने जैसे हैं।
4. 'रिश्ते हैं; लेकिन खुलते नहीं' कवि के सामने ऐसी कौन सी विवशता है जिससे आपसी रिश्ते भी नहीं खुलते हैं?
उत्तर
इस पंक्ति का अर्थ है कि परिवार के सभी सदस्य आपस में एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं किंतु गरीबी के कारण अपने प्यार को प्रकट नहीं कर पाते हैं। उनके हृदयों में गरीबी ने अलगाव की दीवारें खड़ी कर दी हैं इसलिए वे एक-दूसरे को मन की बातें नहीं बता पाते|
5. निम्नलिखित का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -
(क) माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही तीर्थ यात्रा की बस के दो पंचर पहिए हैं।
उत्तर
कवि ने ‘पड़ाव से पहले ही तीर्थ-यात्रा की बस के दो पंचर पहिए’ प्रतीक मँं की औंखों के लिए प्रयुक्त किया है। इसके द्वारा कवि ने सारा जीवन पवित्र कर्मों को करते हुए भी माँ की आँखों की असमय रोशनी चले जाने की ओर संकेत है। तीर्थ-यात्रा वाली बस जिस प्रकार रास्ते में ही पंचर होकर विषम स्थिति उत्पन्न कर देती है, उसी प्रकार असमय ही माँ की औँखों ने रोशनी खोकर घर में विषमता उत्पन्न कर दी है। भाषा सहज, सरल और भावपूर्ण है। लाक्षणिक्ता और प्रतीकात्मकता विद्यमान है। मुक्त छंद है।
(ख) पिता की आँखें लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं।
उत्तर
कवि ने ‘लोहसाँय की ठंडी सलाखें प्रतीक पिता की आँखों के लिए प्रतीक रूप में प्रयुक्त किया है। अपनी यौवनावस्था में पिता तेजस्वी और रौबदार रहे होंगे पर बुढ़ापे और गरीबी ने उनके तेज को उनसे छीन लिया है और उनका तेज मंद पड़ गया है। वे अपने दुर्भाग्य के हाथों हार गए हैं। इसलिए उनके लिए कवि लोहसाँय की ठंड़ी सलाखें कहा है। भाषा सहज, सरल और भावपूर्ण है। लाक्षणिकता एवं प्रतीकात्मक्ता विद्यमान है। मुक्त छंद है।
योग्यता-विस्तार
1. घर में रहनेवालों से ही घर, घर कहलाता है। पारिवारिक रिश्ते खून के रिश्ते हैं फिर भी उन रिश्तों को न खोल पाना कैसी विवशता है! अपनी राय लिखिए।
उत्तर
मेरा मानना है कि परिवार में जब किसी प्रकार का तनाव बना रहता है, उस समय आपस में खुलापन नहीं आ पाता। यह तनाव आर्थिक, मानसिक अथवा शारीरिक प्रताड़ना का हो सकता है। पारिवारिक गरीबी खुल कर आत्माभिव्यक्ति इसलिए नहीं करने देती कि कहीं कुछ ऐसा न कह बैठे कि परिवार में कलह हो जाए। किसी के भय के कारण भी आपसी रिश्ते खुल नहीं पाते हैं।
2. आप अपने पारिवारिक रिश्तों संबंधों के बारे में एक निबंध लिखिए।
उत्तर
मेरे पारिवारिक संबंधों का एक आदर्श परिवार
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसी कारण वह जहाँ भी रहता है अपने आस-पास रहने वालों के संपर्क में आकर कुछ उनके और कुछ अपने संस्कार एक दूसरे से लेता-देता रहता है। हमारे परिचित अनेक परिवार होते हैं जिनमें से कुछ के साथ हमारे औपचारिक तथा एक-दो के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित हो जाते हैं। जो परिवार हमारे आदर्शों के अनुरूप होता है वह हमें बहुत प्रभावित करता है और उस परिवार के साथ हमारे संबंध भी सुदृढ़ होते जाते हैं। इसी प्रकार का एक आदर्श परिवार हमारे संपर्क में भी है। डॉक्टर विनोद कुमार और डॉक्टर साधना का परिवार एक ऐसा आदर्श परिवार हैं, जिसे मैंने अपनी आँखों से देखा और जाना है।
डॉक्टर विनोद कुमार एक सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक हैं तथा उनकी पत्नी डॉक्टर साधना बाल-रोग विशेषज्ञ हैं। दोनों की आयु क्रमश: पैतालीस तथा चालीस वर्ष की है। इनके दो बच्चे हैं- एक लड़कासुहास तथा एक लड़की नेहा। सुहास मेरे साथ बारहवी कक्षा में पढ़ता है तथा नेहा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। इस प्रकार इस दंपति ने भारत सरकार की आदर्श परिवार की परिकल्पना को सत्य करने के लिए ‘हम दो, हमारे दो’ मूल मंत्र को सार्थकता प्रदान की है।
इस परिवार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आर्थिक रूप से संपन्न होते हुए भी इनमें अभिमान नहीं है अपितु ये सभी बहुत विनम्र हैं। नेहा और सुहास के पालन-पोषण में लड़की अथवा लड़का होने के कारण कोई भी भेद-भाव नहीं किया जाता है। सभी कार्य परस्सर विचार-विमर्श द्वारा संपन्न किए जाते हैं। अवकाश के दिनों में सैर-सपाटे कार्यक्रम भी आपसी सहयोग से बनाया जाता है।
इनके परिवार में घरेलू काम-काज करने के लिए नौकर हैं फिर भी माता-पिता के साथ बच्चे भी घर के काम में हाथ बँटाते हैं। डॉक्टर विनोद कुमार अपने बगीचे की देखभाल करते हैं, सुहास घर को साफ़-सुथरा रखने में सहायता करता है तथा नेहा अपनी माता का रसोई के कायों में हाथ बँटाती है। सबका दैनिक कार्यक्रम एक निश्चित समय-सारिणी के अनुसार होता है। केवल इतनी ही नहीं किसी अतिथि के आने पर यह सभी समुचित आदर-सत्कार करते हैं यह परिवार भी जब कभी किसी दूसरे के घर जाता है तो वहाँ उस परिवार के साथ ही पूरी तरह से घुल-मिल जाते हैं तथा उनके साथ पूरा सहयोग करते हैं जिससे उन्हें यह अनुभव न हो कि वे उनपर बोझ हैं।
जब कभी इनके नाना-नानी अथवा दादा-दादी इनसे मिलने आते हैं तो वे उनके छोटे-मोटे काम करने में आनंद का अनुभव करते हैं तथा उनकी समस्त सुख-सुविधाओं का स्वयं ध्यान रखते हैं। जब कभी कहीं किसी को विपत्ति में देखते हैं तो अपने सब काम छोड़ कर उनकी सहायता करना इस परिवार का विशेष गुण है। सुहास और नेहा भी अपनी जेब-खर्चीं से किसी भी ज़रूरतमंद की सहायता करने के लिए सदा तैयार रहते हैं। इस प्रकार मैं कह सकता हूँ कि यह एक ऐसा आदर्श परिवार है, जिसका अनुसरण करने से हम एक आदर्श समाज की स्थापना करके अपने देश को भी महान बना सकते हैं।
3. 'यह मेरा घर है' के आधार पर सिद्ध कीजिए कि आपका अपना घर है।
उत्तर
मेरा घर, मेरा घर है। यह केवल मेरा ही नहीं, हमारा प्यारा घर है। इस घर में मैं, मेरा छोटा भाई सोमेश, मेरी मम्मी और मेंरे पापा रहते हैं। मेरे पापा बैंक में मैनेजर हैं तथा मम्मी कॉलेज में पढ़ाती हैं। मैं ग्यारहवीं कक्षा में और मेरा भाई सातवीं कक्षा में पढ़ता है। सबको अपने-अपने काम पर जाना होता है, इसलिए हम सब मिल-जुलकर काम करते हैं। अपनी समस्याओं का समाधान एक स्थान पर बैठकर करते हैं। अपने मन की बात एक-दूसरे से खुलकर करते हैं। हैसी-खुपी में हमारा दिन बीत जाता है। हमारा घर बहुत प्यारा है।