"Badal ko girte dekha hai" कविता के प्रथम चरण में बादलों का गिरना एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। इसमें प्रकृति की विभूतियों, जैसे बरसात और बादलों की गड़गड़ाहट, को दर्शाया गया है। यह दृश्य आनंद, आशा और कभी-कभी उदासी भी व्यक्त करता है, क्योंकि बारिश जीवन और नवीनीकरण का प्रतीक होती है। कवि इस दृश्य के माध्यम से मन के भावनात्मक गहरे पहलुओं को छूता है, जहाँ बादलों का गिरना सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि भावनाओं का भी प्रतीक है।