शीत निष्क्रियता (Hibermation) सर्दी के मौसम के शुरू होते ही (अक्टूबर के अन्त तक) मेंढक अपने रहने के स्थानों के आसपास की नम जमीन में नीचे जाना शुरू कर देते हैं। जमीन के भीतर मेंढक 40-60 सेमी. तक की गहराई में आसानी से अपने रहने की जगह कर लेता है। इस समय शरीर का तापमान कम एवं सभी क्रियाएँ मंद हो जाती हैं । मेंढक इस निष्क्रिय (dormat) अवस्था में काफी समय तक पड़ा रहता है। इस बीच मेंढक की उपापचयी (metabolic) क्रियाएँ बहुत कम हो जाती हैं। वह अपना निर्वाह बहुत कम भोजन एवं ऑक्सीजन में ही कर लेता है। पहले से जमा किये ग्लाइकोजन व वसा से शरीर को ऊर्जा मिलती रहती है। श्वसन की क्रिया में त्वचा प्रमुख रूप में सहायता करती है। इस प्रकार की निष्क्रियता शीतकाल की समाप्ति तक रहती है। जैसे-जैसे वातावरण का ताप बढ़ता है मेंढक फिर जमीन के बाहर आ जाते हैं और पुनः पूर्ण सक्रिय जीवन आरम्भ कर देते हैं।