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वायु परागण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

या 

वायु परागित पुष्पों की विशेषताएँ लिखिए। 

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पुष्पों में वायु द्वारा होने वाले पर-परागण को वायु परागण (anemophily) कहते हैं और ऐसे पुष्पों कोवायु परागित पुष्प (anemophilous flowers) कहते हैं। वायु परागित पुष्पों में कुछ विशेषताएँपायी जाती हैं जो निम्नलिखित हैं – 

1. वायु परागित पुष्प छोटे एवं आकर्षण रहित होते हैं। ये रंगहीन (colourless); गंधहीन (odourless) एवं मकरन्द रहित होते हैं। 

2. वायु परागित पुष्प प्रायः एकलिंगी (unisexual) होते हैं। ये पत्तियों वाले भाग के ऊपर निकलते हैं तथा इनमें नर पुष्पों की अधिकता होती है; जैसे – मक्का में अथवा फिर नई पत्तियों के निकलने से पहले ही खिल जाते हैं, जैसे-पोपलर में। 

3. पुष्प के अनावश्यक भाग; जैसे – बाह्यदल एवं दल बहुत छोटे होते हैं जिससे ये परागकणों और वर्तिकाग्र के बीच रुकावट न बन सकें। 

4. वायु परागण करने वाले पुष्पों द्वारा प्रचुर मात्रा में परागकण (pollen grains) उत्पन्न होते हैं। क्योंकि वायु के झोंकों के साथ परागकणों का अधिकांश भाग इधर-उधर गिरकर नष्ट हो जाता है और फिर थोड़े से परागकण ही वास्तविक परागण क्रिया में भाग ले पाते हैं। उदाहरणार्थमक्का (Zea) तथा रूमेक्स (Rumex) का एक पौधा क्रमशः लगभग 2 करोड़ तथा 40 करोड़ परागकण उत्पन्न करता है। इसी प्रकार केनाबिस (Cannabis) के एक पुष्प से लगभग 5 लाख परागकणों का निर्माण होता है। 

5. परागकण छोटे, शुष्क व हल्के होते हैं जिससे ये वायु में आसानी से इधर-उधर उड़ सकें। कुछ पुष्पों के परागकणों में विशेष संरचनाएँ भी पायी जाती हैं जो वायु परागण में सहायक होती हैं; जैसे-चीड़ (Pinus) के परागकण पंखयुक्त (winged) होते हैं जिससे ये आसानी से उड़ सकें। 

6. पुंकेसर के पुंतन्तु प्रायः लम्बे तथा पतले होते हैं और पुष्प के बाहर निकले रहते हैं जिससे वायु के झोंकों के साथ ये आसानी से पुंतन्तुओं पर झूल सकें, जैसे—पोपलर में। घास, ताड़ आदि में पुष्पों के परागकोश मुक्तदोली (versatile) प्रकार का होता है जिससे ये वायु में आसानी से झूल सकें। 

7. इन पुष्पों का वर्तिकाग्र लम्बा, रोमयुक्त एवं पुष्प के बाहर निकला होता है जिससे ये परागकणों को आसानी से पकड़ सकें; जैसे-रोमयुक्त (मक्का) या चिपचिपा (पोपलर)।

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