(a) दिया हुआ फलन
![](https://www.sarthaks.com/?qa=blob&qa_blobid=3894042184210910034)
f(x), x में बहुपदीय होने के कारण सर्वत्र अवकलनीय तथा सतत
∴ f(x), [π/4, 5π/4] में सतत तथा (π/4, 5π/4) में अवकलनीय है। तथा f(π/4)
![](https://www.sarthaks.com/?qa=blob&qa_blobid=5173738733878890232)
f(5π/4) = e5π/4 (sin 5π/4 – cos 5π/4) = 0
f(π/4)= f(5π/4) = 0
इस प्रकार से अन्तराल [π/4, 5π/4] में f(x) के लिए रौले के प्रमेय के सभी प्रतिबन्ध संतुष्ट हो जाते हैं।
⇒ c ∈ [π/4,5π/4] का अस्तित्व है, जोकि f'(c) = 0 को संतुष्ट करता है।
अब (i) से,
f'(x) = ex (cos x + sin x) + (sin x – cos x).ex
f'(x) = ex (cos x + sin x + sin x – cos x)
इसी प्रकार
ec 2 sin c = 0
⇒ 2 sin c = 0
⇒ sin c = 0
⇒ c = π
∴ c = π ∈ (π/4,5π/4), f'(c) = 0 को संतुष्ट करते हुए इस प्रकार से रोले की प्रमेय सत्यापित हो जाती है।
(b) f(x) = (x – a)m (x – b)n, x ∈ [a, b], m, n ∈ N यहाँ (x – a)m तथा (x – b)n दोनों बहुपद फलन हैं। यदि इनका विस्तार करके गुणनफल किया जाए तो (m + n) घात का एक बहुपद प्राप्त होगा। एक बहुपद फलन सर्वत्र सतत होता है। अत: फलन f(x) भी अन्तराल [a, b] में सतत है। बहुपद फतन अवकलनीय भी होता है।
∴ f’ (x) = m(x – a)m-1 (x – b)n + n(x – a)m (x – b)n-1
= (x – a)m-1 (x – b)n-1 x [m(x – b) + n(x – a)]
= (x – a)m-1 (x – b)n-1 x + [(m+n)x – mb – na] जिसका अस्तित्व है।
∴ f(x) अन्तराला (a, b) में अवकलनीय है।
पुनः f(a) = (a = a)m (a + b)n = 0
f(b) = (b – a)m (b – b)n = 0
∴ f(a) = f(b) = 0
अत: रोले के प्रमेय के सभी प्रतिबन्ध सन्तुष्ट होते हैं। तब (a, b) में कम-से-कम बिन्दु : का अस्तित्व इस प्रकार हैं कि f'(c) = 0.
f’ (c) = 0
⇒(c – a)m-1 (c – b)n-1 x [(m + n)c – mb – na] = 0
⇒ (m + n)c – mb – na = 0 [∵ (c – a)m ≠ 0, (c – b)n ≠ 0]
⇒ (m + n)c = mb+ na
⇒ c =\(\frac{mb+na}{m+n}\)
जो कि (a, b) का एक अवयव है।
[क्योकि \(\frac{mb+na}{m+n}\) अन्तराल (a, b) को m:n के अनुपात में विभाजित करता है।]
∴ c = \(\frac{mb+na}{m+n}\) ∈ (a, b)
इस प्रकार है कि f’ (c) = 0.
अत: रोले की प्रमेय सत्यापित होती है।
(c) f(x) = |x|, x ∈ [-1, 1]
तय
![](https://www.sarthaks.com/?qa=blob&qa_blobid=9060158633769487748)
चूँकि निरपेक्ष मान फलन सतत होता है परन्तु अवकलनीय नहीं होता है, क्योंकि x = 0 पर दायें पक्ष का अवकलज (Right hard derivative)
![](https://www.sarthaks.com/?qa=blob&qa_blobid=7862535798815604226)
तथा x = 0 पर बायें पक्ष का अवकलज (Left hand derivative)
![](https://www.sarthaks.com/?qa=blob&qa_blobid=3688124143705654958)
x = 0 पर, R.H.D. ≠ LH.D.
Rf’ (0) ≠ Lf’ (0)अर्थात् x = 0 पर फलन अवकलनौय नहीं हैं।
अत: अवकलनीयता का प्रतिबन्ध (-1, 1) के सभी बिन्दुओं पर सन्तुष्ट नहीं होता है।
∴ रोले के प्रमेय का सत्यापन नहीं हो सकता है।
(d) दिया हुआ फलन
f(x) = x2 + 2x – 8, x ∈ [-4, 2]
स्पष्ट है कि फलन f(x) = x2 + 2x – 8 अन्तराल [ – 4, 2] में सतत हैं तथा f’ (x) = 2x + 2, जोकि विवृत्त अन्तराल [- 4, 2] के प्रत्येक बिन्दु पर परिमित व विद्यमान है अर्थात् f(x) अन्तराल [ – 4, 2] में अवकलनीय हैं।
∵ f(- 4) = 0 = f(2)
⇒ f(- 4) = f(2)
उपरोक्त से फलन f(x), दिए गए अन्तराल में रोले प्रमेय तीनों प्रतिबन्धों को सन्तुष्ट करता है।
अब, f’ (c) = 0
2c + 2 = 0
2c = – 2
c = – 1
तथा – 1 ∈ (-4, 2)
c = – 1 ∈ (-4, 2)
इस प्रकार हैं कि
f’ (c) = 0
अत: c = – 1 के लिए रोले की प्रमेय सत्यापित होती हैं।
(e) दिया हुआ फलन
![](https://www.sarthaks.com/?qa=blob&qa_blobid=14508167074848884391)
फलन f(x) अन्तराल [0, 2] में परिभाषित है। स्पष्ट है कि फलन f(x) अन्तराल [0, 2] में सतत है। अब हम इसके अवकलनीय होने की जाँच करेंगे।
![](https://www.sarthaks.com/?qa=blob&qa_blobid=15169034977909142501)
अत: फलन x = 1 ∈ (0, 2) पर अवकलनीय नहीं है।
∵ यहाँ रोले प्रमेय का प्रतिबन्ध सन्तुष्ट नहीं होता है इसलिए दिए गए फलन के लिए रोले प्रमेय लागू नहीं होती है।
(f) दिया हुआ फलन
f(x) = [x], x ∈ [-2,2]
∵ फलन f(x) = [x], अन्तराल [- 2, 2] के सतत नहीं है, क्योंकि महत्त्व पूर्णाक फलन पृणूक बिन्दुओं पर न तो संतत होता है और न ही अवकलन, होता है।
∵ यहाँ रोले प्रमेय के प्रतिबन्ध सन्तुष्ट नहीं होते हैं इसलिए दिए गए फलन के लिए रोले प्रमैय लागू नहीं होता हैं।