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निम्नलिखित फलनों के लिए रौले प्रमेय का सत्यापन कीजिए।

(a) f(x) = x2 + 5x + 6, x ∈ [-3, -2]

(b) f(x) = e sin-x, x ∈ [0, π]

(c) f(x) = \(\sqrt{x(1-x)}\), x ∈ [0, 1]

(d) f(x) = cos 2x, x ∈ [0, π]

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(a) दिया हुआ फलन

f(x) = x2 + 5x + 6, x ∈ [-3, -2]

∵ फलन f(x) = x2 + 5x + 6 जो कि एक बहुपदीय फलन है।

अत: वह अन्तराल [-3,-2] में सतत हैं।

अब f’ (x) = 2x +5 जिसका सभी x = [-3, – 2] के लिए अस्तित्व हैं।

∴ f(x) अन्तराल (-3, -2) में अवकलनीय है।

∵ f(-3) = 0 = f(-2)

⇒ f(- 3) = f(- 2)

इस प्रकार रोले के प्रमेय के सभी प्रतिबन्ध सन्तुष्ट होते हैं। तब एक बिन्दु c ∈ (-3, -2) का अस्तित्व इस प्रकार हैं कि f’ (c) = 0.

⇒ f’ (c) = 2c + 5 = 0

⇒ 2c = – 5

c = \(\frac{-5}{2}\) ∈ (-3, -2)

इस प्रकार है कि

f’ (c) = 0

इस प्रकार c = \(\frac{-5}{2}\) के लिए रोले कि प्रमेय का सत्यापन होता है।

(b) दिया हुआ फलन

f(x) = e-x sin x, x ∈ [0, π]

∵ e-x तथा sin x दोनों ही सतत हैं। अतः इनका गुणनफल e-x sin x भी सतत है अर्थात् f(x) सतत है।

पुन: f’ (x) = e-x cosx – e-x sin x, जिसका सभी x ∈ (0, π) के लिए अस्तित्व हैं अर्थात् f(x) अन्तराल (0, π) में अवकलनीय है।

∵ f(0) = 0 = f(π)

⇒ f(0) = f(π)

इस प्रकार रोले के प्रमैय के सभी प्रतिबन्ध सन्तुष्ट होते हैं। अतः एक बिन्दु c ∈ (0, π) का अस्तित्व इस प्रकार है कि f’ (c) = 0.

f’ (c) = 0

⇒ e-c cos c – e-c sin c = 0

⇒ e-c (cos – sin c) = 0

⇒ cos c = sin c (∵ ec ≠ 0)

⇒ tan c = 1

⇒ c = π/4
⇒ c = π/4 ∈ (0, π)

इस प्रकार है कि f’ (c) = 0

प्रकार c = π/4 के लिए रोले की प्रमेय का सत्यापन होता है।

(c) दिया हुआ फलन

f(x) = \(\sqrt{x(1-x)}\), x ∈ [0, 1]

स्पष्ट है कि फलन f(x) अन्तराल [0, 1] में सतत है तथा f’ (x

\(\frac{1-2x}{2\sqrt{x(1-x)}}\)

जो कि अन्तराल (0. 1) के प्रत्येक बिन्दु में परिमित व विद्यमान है अर्थात् फलन f(x) अन्तराल (0, 1) में अवकलनीय है।

∵ f(0) = 0 = f(1)

⇒ f(0) = f(1)

उपरोक्त से फलन f(x) दिए गए अन्तराल में रोले प्रमेय के सभी प्रतिबन्ध सन्तुष्ट करते हैं।

अत: f’ (c) = 0

f(c) = \(\frac{1-2c}{2\sqrt{c(1-c)}} = 0\)

⇒ 1 – 2c – 0

⇒ c = 1/2

⇒ c = 1/2 ∈ (0. 1)

इस प्रकार हैं कि

f’ (c) = 0

इस प्रकार c = 1/2 के लिए रोले की प्रमेय का सत्यापन होता है।

(d) दिया हुआ फलन

f(x) = cos 2x, x ∈ [0, π]

स्पष्ट है कि दिया गया फलन f(x) = cos 2x, अन्तराल [0, π] में परिभाषित हैं।

∵ coine फलन अपने प्रान्त में सतरा होता है।

अत: यह [0, π] में सतत है।

तव f’ (x) = – 2 sin 2x का अस्तित्व है।

जहाँ x ∈ (0, π)

∴ f(x), अन्तराल (0, π) में अवकलनीय है।

अव f(0) = cos 0 = 1

तथा f(π) = cos – 2π = 1

∴ f(0) = f(π) = 1

इस प्रकार रौले के प्रमेय के सभी प्रतिबन्ध सन्तुष्ट होते हैं। तब कम-से-कम एक बिन्दु c ∈ (0, π) का अस्तित्व इस प्रकार है कि f’ (c) = 0

∴ f’ (c) = – 2 sin 2c = 0

⇒ sin 2c = 0

⇒ 2c = π

⇒ c = π/2 जो कि (0, π) का अवयव है अर्थात्

c = π/2 ∈ (0, π)

इस प्रकार है कि

f’ (c) = 0

इस प्रकार c = π/2 के लिए रौले की प्रमेय का सत्यापन हुआ है।

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