NCERT Solutions Class 12, Hindi, Aroh, पाठ- 3, कविता के बहाने, बात सीधी थी पर
लेखक - कुँवर नारायण
कविता के साथ
1. इस कविता के बहाने बताएँ कि 'सब घर एक कर देने के माने' क्या है?
उत्तर
इसका अर्थ है-भेदभाव, अंतर व अलगाववाद को समाप्त करके सभी को एक जैसा समझना। जिस प्रकार बच्चे खेलते समय धर्म, जाति, संप्रदाय, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब आदि का भेद नहीं करते, उसी प्रकार कविता को भी किसी एक वाद या सिद्धांत या वर्ग विशेष की अभिव्यक्ति नहीं करनी चाहिए। कविता शब्दों का खेल है। कविता का कार्य समाज में एकता लाना है।
2. 'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से क्या संबंध बनता है?
उत्तर
कवि ने बताया कि चिड़िया एक जगह से दूसरी जगह उड़ती है। इसी प्रकार कविता भी हर जगह पहुँचती है। उसमें कल्पना की उड़ान होती है। कवि फूल खिलने की बात करता है। दूसरे शब्दों में, कविता का आधार प्राकृतिक वस्तुएँ हैं। वह लोगों को अपनी रचनाओं से मुग्ध करती है।
3. कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर
कविता और बच्चों के क्रीड़ा-क्षेत्र का स्थान व्यापक होता है। बच्चे खेलते-कूदते समय काल, जाति, धर्म, संप्रदाय आदि का ध्यान नहीं रखते। वे हर जगह, हर समय व हर तरीके से खेल सकते हैं। उन पर कोई सीमा का बंधन नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है। शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य आदि उपकरण मात्र हैं। इनमें नि:स्वार्थता होती है। बच्चों के सपने असीम होते हैं, इसी तरह कवि की कल्पना की भी कोई सीमा नहीं होती।
4. कविता के संदर्भ में 'बिना मुरझाए महकने के माने' क्या होते हैं?
उत्तर
फूल ही ऐसे हैं, जो महकते हैं। लेकिन उनका महकना तब तक कायम रहता है, जब तक उनका अस्तित्व विद्यमान है। कविता की स्थिति ऐसी नहीं है। कवि ने उसे खिलने तथा कभी न मुरझाने की शक्ति प्रदान की है। इस कारण उसकी महक सदैव बनी रहती है। उसे आप जब भी पढ़ो वह आपको नयी ही प्रतीत होती है। कविता का प्रभाव तथा अस्तित्व चिरस्थायी रहता है। इसलिए कविता को बिना मुरझाए महकने के लिए कहा है।
5. 'भाषा को सहूलियत' से बरतने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर
'भाषा को सहूलियत' से बरतने से अभिप्राय है अपने विचारों की को बताने के लिए ऐसे सरल, सहज और सर्वमान्य शब्दों का प्रयोग करना चाहिए ताकि वे अधिक से अधिक जनमानस तक पहुँच सकें| कठिन और आडम्बरपूर्ण शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को समझने में कठिनाई हो ।
6. बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में 'सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है' कैसे ?
उत्तर
किसी भी बात को कहने के लिए हमें उचित शब्दों का चयन करना पड़ता है जिनसे हमारी बात उस व्यक्ति तक स्पष्ट रूप से पहुँच जाए और हमारे कहने का मतलब भी समझ जाए वरना कई बार सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। कठिन और आडम्बरपूर्ण भाषा का प्रयोग करने पर कभी-कभी उस बात का विपरीत अर्थ निकल जाता है और हम अपनी मूल बात कहने में असफल हो जाते हैं।
7. बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें।
बिंब/मुहावरा |
विशेषता |
(क) बात की चूड़ी मर जाना |
कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |
(ख) बात की पेंच खोलना |
बात का पकड़ में न आना |
(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना |
बात का प्रभावहीन हो जाना |
(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना |
बात में कसावट का न होना |
(ङ) बात का बन जाना |
बात को सहज और स्पष्ट करना |
उत्तर
बिंब/मुहावरा |
विशेषता |
(क) बात की चूड़ी मर जाना |
बात में कसावट का न होना |
(ख) बात की पेंच खोलना |
बात को सहज और स्पष्ट करना |
(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना |
बात का पकड़ में न आना |
(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना |
बात का प्रभावहीन हो जाना |
(ङ) बात का बन जाना |
कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |
कविता के आसपास
बात से जुड़े कई मुहावरे प्रचलित हैं। कुछ मुहावरों का प्रयोग करते हुए लिखें।
उत्तर
- बातें बनाना-बातें बनाना कोई तुमसे सीखे।
- बात का बतंगड़ बनाना-कालू यादव का काम बात का बतंगड़ बनाना है।
- बात का धनी होना-मोहन की इज्जत है क्योंकि वह अपनी बात का धनी है।
- बात रखना-सोहन ने मजदूर नेता की माँग मानकर उसकी बात रख ली।
- बात बढ़ाना-सुमन, अब सारी बातें यहीं खत्म करो क्योंकि बात बढ़ाने से तनाव बढ़ता है।
व्याख्या करें
जोर जबरदस्ती से बात की चूड़ी मर गई और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि हमें बोलते समय भाषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मात्र अपनी बात कहने के लिए कुछ भी नहीं कहना चाहिए। भाषा में अनावश्यक शब्दों का प्रयोग करने से बात का महत्व समाप्त हो जाता है। इस तरह बात बिगड़ जाती है। एक पेंच को कसते समय हमारे द्वारा की गई ज़बरदस्ती पेंच की चूड़ी को खराब कर देता है, वैसे ही बात करते समय भाषा में किए गए अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से बात का सही अर्थ नहीं निकल पाता है। अपनी बात को समझाने के लिए हमें उचित शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए। इस तरह हमारी बात प्रभावी बनती है और लोगों को समझ में आती है। लेकिन ज़बरदस्ती भाषा को प्रभावी बनाने के चक्कर में सही बात भी स्पष्ट नहीं हो पाती है।
चर्चा कीजिए
आधुनिक युग में कविता की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए?
उत्तर
आधुनिक युग में कविताओं में संभावनाएँ-
- अभिव्यक्ति को सहज और सुंदर रूप से व्यक्ति करना।
- कविताओं को यथार्थ से और भी समीप से जोड़ना।
- कविता की भाषा शैली और शिल्प शैली में बदलाव करना।
- कविता में अलंकारों और छंदों के स्वरूप में नए बदलाव।
चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में, बिबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित करें।
उत्तर
भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में बिबों और उपमानों के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता है। ये ही कविता के स्वरूप को साकार करते हैं। इनके द्वारा ही कवि की बात प्रभावी बनती है और वह क्या कहना चाहता है, यह स्पष्ट होता है। 'बिंब' का अर्थ होता है, शब्दों के माध्यम से कविता में ऐन्द्रिय चित्र दर्शाना। कविता में इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके द्वारा कवि अपनी कल्पनाशक्ति का प्रयोग कर अपने सूक्ष्म विचारों को एक चित्र के रूप में दर्शाता है। यह चित्र कविता पढ़ते समय हमारी आँखों के आगे साकार हो जाता है। उपमान का प्रयोग करके कवि भाषा को सरल, सहज बना देता है। इससे भाषा में शब्दांडबर खत्म हो जाता है और कविता अपने उद्देश्य की पूर्ति कर लेती है।