NCERT Solutions Class 12, Hindi, Aroh,पाठ- 4, कैमरे में बंद अपाहिज
लेखक - रघुवीर सहाय
कविता के साथ
1.कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं-आपकी समझ से इसका क्या औचित्य है?
उत्तर
हमारी समझ से ये पंक्तियाँ कविता में आए संचालक द्वारा कही गई बातें हैं-
उदाहरण के लिए-
- (कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
- (हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?)
- (यह अवसर खो देंगे?)
- (यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा)
- (आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे।)
- (कैमरा बस करो नहीं हुआ रहने दो परदे पर वक्त की कीमत है)
- (बस थोड़ी ही कसर रह गई)
कार्यक्रम का संचालक अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपंग व्यक्ति को विभिन्न प्रकार से रुलाने का प्रयास करता है। वह कभी अपंग व्यक्ति, कभी दर्शकों तथा कभी कैमरामेन को बोलता है। इसके माध्यम से स्पष्ट हो जाता है कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संचालक किस हद तक स्वयं को गिरा सकता है। इन पंक्तियों के माध्यम से उसका दोगला रूप दिखाई देता है। कार्यक्रम के सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने के स्थान पर वह स्वयं के कार्यक्रम को सफल बनाने में लगा रहता है।
2. कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है-विचार कीजिए।
उत्तर
यह बात कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से बहुत ही सुंदर रूप से व्यक्त की है। लोग अपंग लोगों के प्रति करुणा का भाव दिखाते हैं। समाज के समाने दिखावा करते हैं कि उन्हें अपंग लोगों से बहुत सहानुभूति है लेकिन जब अवसर पड़ता है, तो उन्हें अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करने से बाज नहीं आते हैं। एक कार्यक्रम जो सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जा रहा है, उसमें एक अपंग को बुलाया जाता है। कैमरे में उसका साक्षात्कार लिया जाता है, उससे सहानुभूति तथा करुणा दिखाई जाती है। लेकिन बार-बार उसे उसके अपंग होने का अहसास दिलाया जाता है। उसकी अपंगता को अपने कार्यक्रम की सफलता के लिए भुनाया जाता है। करुणा का मुखौटा पहनकर कार्यक्रम का संचालन जो क्रूरता करता है, उससे हृदय दुखी हो जाता है। यह वह सच्चाई है, जो आज इस प्रकार के कार्यक्रमों में दिखाई जाती है। आज धन का बोलबाल है, करुणा जैसे शब्द खोखले हो गए हैं।
3. हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर
‘हम समर्थ शक्तिमान’ पंक्ति के माध्यम से मीडिया की ताकत व कार्यक्रम संचालकों की मानसिकता का पता चलता है। मीडिया कमी या मीडिया-संचालक अपने प्रचार-प्रसार की ताकत के कारण किसी का भी मजाक बना सकते हैं तथा किसी को भी नीचे गिरा सकते हैं। चैनल के मुनाफ़े के लिए संचालक किसी की करुणा को भी बेच सकते हैं। कार्यक्रम का निर्माण व प्रस्तुति संचालकों की मर्जी से होता है।
‘हम एक दुर्बल को लाएँगे’ पंक्ति में लाचारी का भाव है। मीडिया के सामने आने वाला व्यक्ति कमजोर होता है। मीडिया के अटपटे प्रश्नों से संतुलित व्यक्ति भी विचलित हो जाता है। अपंग या कमजोर व्यक्ति तो रोने लगता है। यह सब कुछ उसे कार्यक्रम-संचालक की इच्छानुसार करना होता है।
4.यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा?
उत्तर
यदि साक्षात्कार देने वाला अपंग व्यक्ति और दर्शक दोनों एक साथ रो देंगे तो प्रश्नकर्ता सहानुभूति प्राप्त करने में सफल हो जाएगा। उसका यह भी उद्देश्य पूरा हो जाएगा कि हमने सामाजिक कार्यक्रम दिखाया है। एक ऐसा कार्यक्रम जिसमें अपंग व्यक्ति की व्यथा का मार्मिक चित्रण हुआ है। उस व्यक्ति की सोच और वेदना का हू-ब-हू चित्र हमने दिखाया है।
5.परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है?
उत्तर
इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति व्यावसायिक नजरिया प्रस्तुत किया है। परदे पर जो कार्यक्रम दिखाया जाता है, उसकी कीमत समय के अनुसार होती है। दूरदर्शन व कार्यक्रम-संचालक को जनता के हित या पीड़ा से कोई मतलब नहीं होता। वे अपने कार्यक्रम को कम-से-कम समय में लोकप्रिय करना चाहते हैं। अपंग की पीड़ा को कम करने की बजाय अधिक करके दिखाया जाता है ताकि करुणा को ‘नकदी’ में बदला जा सके। संचालकों की सहानुभूति भी बनावटी होती है।
कविता के आसपास
1. यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो. तो किन शब्दों में करवाएँगी?
उत्तर
मुझे यदि किसी शारीरिक चुनौती का सामना कर रही अपनी मित्र का परिचय करवना है तो मैं उसकी अपंगता का मजाक नहीं उड़ाऊँगी और न ही उस अपंग लड़की को उसकी अपंगता का एहसास दिलाने की कोशिश करूंगी। मैं तो लोगों से यही कहूँगी कि यह मेरी परम मित्र है। हम बचपन से एक साथ पढ़ती आई हैं। यह लड़की मुझसे ज्यादा होशियार है। यद्यपि चलने में इसे कुछ कठिनाई होती है, लेकिन पढ़ाई और स्कूल की अन्य गतिविधियों में यह सबसे आगे रहती है। इसलिए हर साल यह प्रथम स्थान प्राप्त करती है। इसने अपनी मजबूरी को मजबूती बना लिया है।
2. सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर
सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर मुझे बहुत दुख होगा। ऐसे कार्यक्रम किसी की सहायता नहीं करते। ये सिर्फ़ अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें। ऐसे कार्यक्रम बनाने वालों का उद्देश्य समाज-सेवा नहीं होता। वे मात्र संवेदना बेचना जानते हैं। ऐसे कार्यक्रमों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। दर्शकों को भी ऐसे कार्यक्रमों को सिरे से नकार देना चाहिए।
3. यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी.वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर
पताः दिल्ली गांधीनगर
दिनाँकः 20/07/2019
सेवा में,
निदेशक,
दूरदर्शन,
आकाशवाणी मार्ग
नई दिल्ली।
विषयः डी.डी.वन में बुधवार दिनाँक 20/07/2019 को प्रसारित होने वाला कार्यक्रम पर दुख जताते हुए शिकायती पत्र।
महोदय/महोदया,
बुधवार शाम 7 बजे आपके चैनल पर एक कार्यक्रम दिखाया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक था। इसमें एक अपंग व्यक्ति का साक्षात्कार लिया गया था। आपके इस कार्यक्रम को देखकर हमें बहुत दुख हुआ। इसमें अपंग व्यक्ति के साथ कार्यक्रम के संचालक ने जिस प्रकार का व्यवहार किया वह निंदनीय था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संचालक ने जान-बूझकर करुणापूर्ण शब्द बोलकर उसकी अपंगता का फायदा उठाने का प्रयास किया है। इसके अतिरिक्त ऐसा जान पड़ रहा था कि संचालक व्यक्ति को बोलने ही नहीं दे रहे थे, बस अपनी बात कहने में उन्हें दिलचस्पी थी। यह एक प्रकार से शोषण सा प्रतीत हो रहा था।
आपसे विनम्र निवेदन है कि इस प्रकार के कार्यक्रम को रोक लगाएँ जाएँ ताकि भविष्य में अन्य व्यक्ति के साथ इस प्रकार का शोषण न हो।
भवदीय
मृदुल भारत