NCERT Solutions Class 12, Hindi, Antra, पाठ- 15, जहाँ कोई वापसी नहीं
लेखक - निर्मल वर्मा
1. अमझर से आप क्या समझते हैं? अमझर गाँव में सूनापन क्यों है?
उत्तर
‘अमझर’. हम समझते हैं-आमों का झरना। यह एक गाँव का नाम है। यह गाँव आम के पेड़ों से घिरा था और यहाँ के पेड़ों से आम झरते (गिरते) रहते थे।
इस गाँव में अब सूनापन है। यहाँ के पेड़ों पर भी सूनापन पसरा हुआ है। अब न कोई फल पकता है और न कुछ नीचे झरता है। इसका कारण यह है कि जब से यह सरकारी घोषणा हुई कि अमरौली प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागाँव के अनेक गाँव उजाड़ दिए जाएँगे और उनमें अमझर गाँव भी था, तब से यहाँ के आम के पेड़ सूखने लगे। जब आदमी ही उजड़ जाएँगे तो फिर पेड़ ही जीवित रहकर क्या करेंगे ?
2. आधुनिक भारत के 'नए शरणार्थी' किन्हें कहा गया है?
उत्तर
आधुनिक भारत के 'नए शरणार्थी' हज़ारों गाँव के उन लोगों को कहा गया है, जिन्हें आधुनिकता के नाम पर अपना गाँव छोड़ना पड़ा है। भारत की प्रगति तथा विकास के लिए इन्हें अपने घर, खेत-खलिहान, पैतृक जमीन इत्यादि छोड़नी पड़ी है। वे विस्थापन का वह दर्द झेल रहे हैं, जो उन्हें औद्योगीकरण के कारण मिला है। पहले वे शरणार्थी थे, जिन्हें भारत-पाक विभाजन में विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा था। अब ये नए शरणार्थी हैं, जिन्हें औद्योगीकरण के के कारण यह दर्द झेना पड़ रहा है।
3. प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है?
उत्तर
प्रकृति के कारण जो विस्थापन मिलता है, उसकी क्षतिपूर्ति कुछ समय बाद पूर्ण की जा सकती है। लोग प्रकृति आपदा के बाद पुनः अपने स्थानों पर जा बसते हैं। सबकुछ नष्ट होने का दुख होता है लेकिन अपनी जमीन से वे जुड़े रहते हैं। औद्योगीकरण के कारण जो विस्थापन मिलता है, वह थोपा गया होता है। इसमें मनुष्य अपनी पैतृक संपत्ति, धरोहर, खेत-खलिहान अपनी यादों तक को खो देता है। उसे पुनः मिलने की आशा होती ही नहीं है। बेघर होकर उसे एक स्थान से दूसरे स्थान में भटकने के लिए विवश होना पड़ता है।
4. यूरोप और भारत की पर्यावरण संबंधी चिताएँ किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर
यूरोप में पर्यावरण का प्रश्न मनुष्य और भूगोल के बीच संतुलन बनाए रखने का है। वहाँ के लोग इसी संतुलन को बनाए रखने के बारे में चिंता करते हैं। उनकी चिंता भौगोलिक स्थिति के बारे में होती है। इसका संस्कृति से कोई संबंध नहीं है। भारत में पर्यावरणीय चिंता का स्वरूप भिन्न है। भारत में मनुष्य और उसकी संस्कृति के बीच पारस्परिक संबंध को बनाए रखने का प्रश्न है। यहाँ मनुष्य के उन रिश्तों की बात होती है जो उसे धरती, जंगलों, नदियों से जोड़ता है। यही उसकी सांस्कृतिक विरासत है, वह इसी की चिंता करता है।
5. लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी 'ट्रेजेडी' क्या है?
उत्तर
स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रैजडी यह नहीं है कि शासन वर्ग ने औद्योगीकरण का मार्ग चुना, बल्कि ‘ट्रैजडी’ यह है कि हमने पश्चिम की देखा-देखी और नकल में योजनाएँ बनाईं और इनको बनाते समय प्रकृति-मनुष्य और संस्कृति के बीच का नाजुक संतुलन नष्ट कर दिया। इस संतुलन को किस तरह से नष्ट होने से बचाया जाए, इस ओर हमारे पश्चिम शिक्षित सत्ताधारियों का ध्यान कभी ग्या ही नहीं। हम बिना पश्चिम को मॉडल बनाए अपनी शर्तों और मर्यादाओं के आधार पर औद्योगिक विकास का भारतीय स्वरूप निर्धारित कर सकते थे, वह हमारे शासकों ने किया ही नहीं। इसका उन्हें खयाल तक नहीं आया।
6. औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है. क्यों और कैसे?
उत्तर
औद्योगीकरण पर्यावरण का संकट पैदा करने में सबसे बड़ा कारण रहा। औद्योगीकरण के लिए सरकार ने उपजाऊ भूमि तथा वहाँ के परिवेश को नष्ट कर डाला। इसका प्रभाव यह पड़ा कि प्राकृतिक असंतुलन बढ़ गया। औद्योगीकरण ने विकास तो दिया लेकिन प्रदूषण का उपहार भी हमें दे दिया। इसमें भूमि, वायु तथा जल प्रदूषण ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया और वहाँ के सौंदर्य को नष्ट कर दिया।
7. क्या स्वच्छता अभियान की जरूरत गाँव से ज्यादा शहरों में है? (विस्थापित लोगों, मजदूर बस्तियों, स्लमस क्षेत्रों, शहरों में बसी झुग्गी बस्तियों के संदर्भ में लिखिए।)
उत्तर
हाँ, यह बात बिल्कुल सही है, स्वच्छता अभियान की जरूरत गाँव से अधिक शहरों में है। वह भी शहरों के उन हिस्सों में जहाँ पर विस्थापित लोग रहते हैं, जहाँ पर मजदूरों की बस्तियां हैं, जहाँ स्लम क्षेत्र हैं, जहाँ शहरों में स्लम बस्तियाँ हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि शहरों के यह क्षेत्र निम्न एवं निर्धन वर्ग से संबंध रखने वाले लोगों के रहिवासी क्षेत्र होते हैं। इन क्षेत्रों में साफ-सफाई का उचित प्रबंध नहीं होता। ऐसे क्षेत्रों में जन सुविधाओं का अभाव होता है। लोग बेहद गंदी परिस्थितियों में रहते हैं। यहाँ पर ना तो कूड़े-कचरे का निपटान सही तरह से होता है और ना ही शौचालय जैसी सुविधाओं का पर्याप्त प्रबंध होता है। इस कारण ऐसे क्षेत्रों में गंदगी की अधिक संभावनाएं होती हैं।
शहरों के धनाढ्य एव पॉश क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने आसपास साफ-सफाई करने के लिए अनेक तरह की सुविधाएं जुटा लेते हैं। ऐसे क्षेत्रों में साफ-सफाई के लिए शासन-प्रशासन भी पूरी तरह से तत्पर रहता है। लेकिन विस्थापितों, निर्धनों की बस्तियों एवं स्लम बस्तियों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता, जहाँ पर गंदगी ही गंदगी रहती है।
इसलिए स्वच्छता अभियान की सबसे अधिक जरूरत ऐसे क्षेत्रों को ही है। इन क्षेत्रों के लोगों का जीवन अत्यन्त कठिनाई भरा होता है। उचित साफ-सफाई के अभाव में बस्तियों में रहने वाले लोग बीमारियों से भी घिर जाते हैं। इसलिए स्वच्छता अभियान की सबसे अधिक जरूरता विस्थापितों, निर्धनों की बस्तियों और स्लम झुग्गी-झोपड़ियों को ही है।
8. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) आदमी उजड़ेंगे तो पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे?
उत्तर
जब लोगों को अपने घर-परिवार और परिवेश से उजाड़ दिया जाएगा तब भला पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे। आदमी और पेड़ का आपस में गहरा रिश्ता है। एक के बिना दूसरा व्यर्थ है।
(ख) प्रकृति और इतिहास के बीच यह गहरा अंतर है?
उत्तर
प्रकृति जब किसी को उजाड़ती है तो फिर से बसने का मौका भी देती है जबकि इतिहास जब लोगों को उजड़ता है तो वे लोग फिर कभी अपने घर लौट नहीं पाते। यही इनके बीच अंतर है।
9. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(क) आधुनिक शरणार्थी
उत्तर
आधुनिक शरणार्थी उन्हें कहा गया है, जिन्हें औद्योगीकरण की आँधी के कारण विस्थापन का ज़हर भोगना पड़ा है। इन्हें अपने पैतृक निवास, खेत-खलियान और यादों से हमेशा के लिए हटा दिया गया है।
(ख) औद्योगीकरण की अनिवार्यता
उत्तर
औद्योगीकरण की अनिवार्यता को तो सभी स्वीकार करते हैं क्योंकि इसके बिना देश प्रगति नहीं कर सकता, पर इसे करते समय प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच के संतुलन की भी रक्षा की जानी चाहिए।
(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच आपसी संबंध
उत्तर
प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच गहरा संबंध है। औद्योगीकरण इसको नष्ट कर डालता है। कुछ ऐसा रास्ता खोजना चाहिए कि यह रिश्ता नष्ट न होने पाए।
10. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव सौंदर्य लिखिए-
(क) कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है।
उत्तर
इसका भाव सौंदर्य देखते ही बनता है। लेखक एक गहरी बात को बहुत सुंदर शब्दों में व्यक्त करता है। वह इन शब्दों के माध्यम से बताना चाहता है कि यदि कोई इलाका खनिज संपदा से युक्त है, तो नहीं मानना चाहिए कि वह उसके लिए वरदान है। गहराई से देखें, तो वह उसके लिए अभिशाप बन जाता है। ऐसा अभिशाप जो उसके नष्ट होने का कारण बन जाता है। उसकी खनिज संपदा का दोहन करने के लिए उस स्थान को उजाड़ दिया जाता है।
(ख) अतीत का समूचा मिथक संसार पोथियों में नहीं, इन रिश्तों की अदृश्य लिपि में मौजूद रहता था।
उत्तर
इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने प्रकृति तथा मनुष्य के मध्य संबंध की घनिष्टता को बहुत ही सुंदर रूप में अभिव्यक्त किया है। शब्दों के मोती भाव को इतनी सुंदरता से व्यक्त करते हैं कि पंक्ति पढ़कर ही मन प्रसन्न हो जाता है। इसमें लेखक बताना चाहता है कि भारतीयों ने प्रकृति के साथ अपने गहरे संबंध को इतिहास में नहीं लिखा है बल्कि उसे रिश्तों में इस प्रकार रचा-बसा लिया है कि उसे अक्षरों की आवश्यकता नहीं है। वह आँखों से ही दिखाई दे जाता है। इसके लिए हमें इतिहास में नहीं बल्कि अपने आस-पास देखने की आवश्यकता है। जो हमारे खानपान, रहन-सहन, वेशभूषा, तीज-त्योहार, रीति-रिवाज़ के माध्यम से अभिव्यक्त होता है।