NCERT Solutions Class 11, Hindi, Aroh, पाठ- 7, जामुन का पेड़
लेखक - कृश्नचंदर
पाठ के साथ
1. बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था। और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
क.ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
उत्तर
एक रात तेज़ आँधी से सेक्रेटरियेट के अहाते में जामुन का एक पेड़ गिर जाता है और उसके नीचे एक आदमी दब जाता है। सुबह लोगों की भीड़ जमा हो जाती है, उस समय यह संवाद कहा गया है।
ख. इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?
उत्तर
इससे लोगों की संवेदनहीनता व स्वार्थपरता का ज्ञान होता है। आम व्यक्ति को दबे हुए व्यक्ति की चिंता नहीं है, उन्हें सिर्फ फल न मिलने की चिंता है। वे पेड़ गिरने पर दुख व्यक्त करते हैं।
2. दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फ़ाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
उत्तर
सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ रात की आँधी में गिर गया। इसके नीचे एक आदमी दब गया। उसे बचाने के लिए एक सरकारी फाइल बनी। वह एक विभाग से दूसरे विभाग में जाने लगी। माली ने उस आदमी को हौसला देते हुए उसे खिचड़ी खिलाई और कहा कि उसका मामला ऊपर तक पहुँच गया है। तब उस व्यक्ति ने आह भरते हुए गालिब का शेर कहा-
“ये तो माना कि तगापुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!”
माली उसे पूछता है कि क्या आप शायर हैं? उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया। फिर माली ने यह बात क्लकों को बताई। इस प्रकार यह बात सारे शहर में फैल गई। सेक्रेटेरियट में शहर-भर के कवि व शायर इकट्ठे हो गए। फाइल कल्चर डिपार्टमेंट को भेजी गई। वहाँ का सचिव उस व्यक्ति का इंटरव्यू लेने आया और उसे अकादमी का सदस्य बना दिया किंतु यह कहकर कि पेड़ से नीचे से निकालने का काम उसके विभाग का नहीं है वह फाइल वन विभाग को भेज या देता है। इससे पेड़ हटाने या काटने की अनुमति मिलने का रास्ता और लंबा हो गया है।
3. कृषि विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?
उत्तर
कृषि विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे यह तर्क दिया कि कृषि विभाग अनाज और खेती-बाड़ी के मामलों में फैसला करने का हकदार है| जामुन का पेड़ चूँकि एक फलदार पेड़ था, इसलिए यह मामला हॉर्टीकल्चर विभाग के अंतर्गत आता है|
4. इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?
उत्तर
इस पाठ सरकार के निम्नलिखित विभागों की चर्चा की गई है और उनके निम्नलिखित कार्य हैं:
(i) कृषि विभाग- इस विभाग का कार्य कृषि संबंधी मामलों की देखरेख करना है|
(ii) व्यापार विभाग- इसका कार्य देश में होने वाले व्यापार से संबंधित है|
(iii) हॉर्टीकल्चर विभाग- यह विभाग बागवानी तथा उनके रख-रखाव से संबंधित है|
(iv) कल्चरल विभाग- इसका अर्थ है सांस्कृतिक विभाग, जो कला तथा संस्कृति के विकास सबंधी कार्य करता है|
(v) फ़ॉरेस्ट विभाग या वन विभाग- यह विभाग वनों तथा वन्य-प्राणियों के सुरक्षा हेतु कार्य करता है|
(vi) विदेश विभाग- यह विभाग अंतर्राष्ट्रीय संबधों को मजबूत बनाने तथा उससे संबंधित नीतियों के कार्यान्वयन में सहायता करता है|
पाठ के पता चलता है कि किसी भी विभाग में संवेदना नहीं है। हरेक विभाग अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता ह ।
पाठ के आस-पास
1. कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं| ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है?
उत्तर
एक बार तो शुरुआती पहले दिन ही माली के कहने पर जमा हुई भीड़ तैयार थी कि सब मिलकर जोर लगाते हैं। उसी समय सुपरिंटेंडेंट बोला कि ‘ठहरो! मैं अंडर सेक्रेटरी से पूछ लें।’ और बस यह मामला ठप्प हो गया। दूसरा प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए फाइल कार्यालय में घूम रही थी तो कुछ मनचले किस्म के क्लर्क सरकारी फैसले के इंतजार के बिना इस पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि कृषि विभाग के अधीन आने वाले इस पेड़ को हम नहीं काट सकते। इस प्रकार संकल्प भी भंग हो जाता है।
2. यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करूणा की भी अंतर्धारा है| अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें|
उत्तर
यह कहना बिल्कुल सही है कि यह कहानी हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। व्यक्ति पेड़ के नीचे दबा हुआ है। चारों तरफ भीड़ जमा है। वे जामुन के पेड़ तथा रसीले जामुनों की चर्चा कर रहे हैं, परंतु दबे व्यक्ति को बचाने का प्रयास नहीं होता। क्लकीं, अधिकारियों तथा विभागों की फूहड़ हरकतें हास्य के साथ करुणा को जाग्रत करती हैं। फाइल चलती रहती है। माली ही दया करके उसे खाना खिला देता है। कुछ लोग आदमी को काटकर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ने की बात कहते हैं। यह संवेदनहीनता का चरम रूप है। कल्चर विभाग का सचिव उसे अकादमी का सदस्य बना देता है, उससे मिठाई माँगता है, परंतु उसे बचाने का प्रयास नहीं करता। देशों के संबंध के नाम पर आम आदमी की बलि चढ़ाई जा सकती है। ये सभी घटनाएँ करुणा की गहनता को व्यक्त करती हैं।
3. यदि आप माली की जगह होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतजार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर
यदि हम माली के स्थान पर होते तो हुकूमत के फैसले का जरा भी इंतजार न करते और बिना किसी की परवाह किए दबे हुए आदमी को निकाल लेते, क्योंकि किसी भी विभाग, कानून और हुकूमत के फैसले से ज्यादा आवश्यक है किसी की जान बचाना। अतः सबसे पहले वही किया जाना चाहिए। इतने सारे लोगों के बीच महज औपचारिकता के चलते एक व्यक्ति की जान चली जाना मनुष्यता के नाम पर धब्बा है।
शीर्षक सुझाइए
कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ| निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं-
- कहानी में बार-बार फाइल का जिक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फाइल पूर्ण होने की बात कही गई है|
उत्तर
जीवन की फाइल|
- सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्यप्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है|
उत्तर
लंबी तथा विवेकहीन सरकारी प्रणाली|
- कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है|
उत्तर
लापरवाही तथा विवेकहीनता के दुष्परिणाम|