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NCERT Solutions Class 11, Hindi, Antra, पाठ- 4, गूँगे

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NCERT Solutions Class 11, Hindi, Antra, पाठ- 4, गूँगे

लेखक - रांगेय राघव

प्रश्न-अभ्यास

1. गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया?

उत्तर

गूँगे ने संकेत के माध्यम से बताया कि वह स्वाभिमानी है। उसने अपने सीने पर हाथ रखकर संकेत किया कि उसने आज तक किसी के सम्मुख हाथ नहीं फैलाया है। उसने कभी भीख नहीं माँगी है। उसने अपनी भुजाओं को दिखाया और संकेत किया कि उसने मेहनत करके खाया है। उसने पेट बजाकर यह भी बताया कि उसने यह सब अपने पेट के लिए किया है।

2. 'मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है।' कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

संवेदनशीलता मनुष्य का स्वभाविक गुण है। इसी के प्रभाव के कारण मनुष्य में दूसरों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। आज के समय में मनुष्य ने अपनी संवेदनशीलता के प्रति आँखें बंद कर ली हैं। वह भावना उसके मन में रहती है अवश्य परन्तु मूक अवस्था में। यदि कभी वह उसके मन से बाहर आ भी जाए, तो व्यवहार में उसे ला नहीं पाता है। इसलिए कवि ने कहा है कि मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया के रूप में विद्यमान है।

3. 'नाली का कीड़ा! 'एक छत उठाकर सिर पर रख दी' फिर भी मन नहीं भरा।' चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?

उत्तर

चमेली ने दया करके गूँगे को अपने पास रख लिया था। वह उसके छोटे-मोटे काम करता था। गूँगे का स्वभाव था कि वह कुछ समय के लिए चला जाता और फिर वापस आ जाता था। एक दिन जब गूँगा पुनः बिना बताए भाग गया, तब वह यह कथन कहती है। उसे लगता है कि गूँगा नाली के कीड़े के समान है, उसे जितना भी बेहतर जीवन दे दो मगर वह गंदगी को ही पसंद करेगा। चमेली के इस कथन से पता चलता है कि वह गूँगे जैसे लोगों के प्रति क्या सोच रखती है। वह उसे कीड़े के समान समझती है। उसे लगता है कि गूँगे को अपने पास रखकर उसने अहसान किया है। अतः वह जो चाहेगी गूँगे को कह सकती है और उसके साथ कर सकती है।

4. यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता?

उत्तर

यदि बसंता गूंगा होता तो चमेली उसके प्रति ममता और सहानुभूति का व्यवहार करती। वह बसंते को दिव्यांग के विद्यालय में पढ़ाती। उसे लोगों की मार खाने के लिए गली में नहीं छोड़ देती। उसे सक्षम बनाती। ऐसे उपाए ढूँढ़ती जिससे उसका बच्चा अन्य बच्चों के साथ घुल-मिलकर रहता। लोगों द्वारा उसके बच्चे को दया की दृष्टि से नहीं देख जाता।

5. 'उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।' क्यों?

उत्तर

गूँगा चमेली को माँ के समान समझता था। जब चमेली के बेटे बसंता ने उस पर चोरी का झूठा इल्ज़ाम लगाया, तो उससे यह सहा नहीं गया। उसे उम्मीद थी कि चमेली सही का पक्ष लेगी। इसके उल्ट चमेली ने गूँगे की जगह अपने बेटे का पक्ष लिया जिससे गूँगे को बुरा लगा। चमेली के इस व्यवहार ने उसे दुखी ही नहीं किया बल्कि उसकी आँखों में पानी भी भर दिया। उसकी आँखों में चमेली ने अपने पक्षपातपूर्ण व्यवहार की शिकायत पढ़ ली थी। वह चमेली के पक्षपात भरे व्यवहार से दुखी था साथ ही पक्षपात के प्रति तिरस्कार भी था।

6. 'गूँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता था' सिद्ध कीजिए।

उत्तर

गूँगे ने यह बात कई बार स्वयं संकेत के माध्यम से कही थी कि वह दया या सहानुभूति नहीं अधिकार चाहता था। अधिकार अपनत्व से उपजता है। चमेली उसे दया करके अपने पास रख लेती है लेकिन गूँगा उसे अपनत्व समझता है। वह उससे अधिकार चाहता है। जब चमेली बसंता का पक्ष लेती है, तो उसकी अधिकार भावना आहत होती है। चमेली के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के प्रति तिरस्कार गूँगे की आँखों में स्पष्ट दिखाई दे जाता है कि वह केवल अधिकार चाहता है। अधिकार ही है, जो उसे प्रेम, मान-सम्मान तथा समानता का भाव देता है। दया या सहानुभूति उसे ये सब नहीं देती है। अतः वह दया या सहानुभूति से दूर भागता है।

7. 'गूँगे' कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों?

उत्तर

'गूँगे' कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं। मेरे अनुसार वह सहानुभूति का पात्र नहीं है, वह सम्मान का पात्र है। यदि उसे सही लोग मिलते तथा सही दिशा-निर्देश मिलता, तो वह हमारी तरह जीवन जी पाता। उसके जीवन में व्याप्त लोगों का व्यवहार उसे सहानुभूति का पात्र बना देता है। गूँगे की लड़ाई लोगों से नहीं अपितु उस समाज है, जो उसे समानता का अधिकार नहीं देते हैं। उसकी कमी उसे सहानुभूति का पात्र बना देती है। उसके साथ कहानी में जो-जो होता है, उसे पढ़कर मन में सहानुभूति फूट पड़ती है।

8. कहानी का शीर्षक 'गूँगे' है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है?

उत्तर

लेखक के अनुसार आज का समाज अन्याय के प्रति गूँगा या उपेक्षित रहता है। समाज में अपंग लोगों पर विभिन्न प्रकार के अत्याचार होते रहते हैं लेकिन लोग चुपचाप देखते रहते हैं। वे उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं लेकिन जब कुछ करने का मौका आता है, तो वे स्वयं शोषण करने वाले बन जाते हैं। उनमें न संवेदनाएँ रहती है न मानवता। बस दर्शक बनकर अत्याचार देखते रहते हैं। उन्हें इनके प्रति अपने दायित्व दिखाई नहीं देते। किसी मनुष्य में यदि संवेदनाएँ या मानवता आ भी जाती है, तो वे क्षणिक होती हैं। अतः लेखक ने गूँगे बोलकर समाज में व्याप्त ऐसे लोगों की ओर संकेत किया है।

9. यदि 'स्किल इंडिया' जैसा कोई कार्यक्रम होता तो क्या गूँगे को दया या सहानुभूति का पात्र बनना पड़ता?

उत्तर

दिव्यांगों (विकलांगों) की समाज में सदा से ही दयनीय स्थिति रही है। समाज में उनको प्रायः दया और सहानुभूति का पात्र माना जाता रहा है। यदि कोई दिव्यांग व्यक्ति किसी कार्य में या कला आदि में निपुण भी होता है तो भी उसकी कार्य-क्षमता पर लोगों को सहज विश्वास नहीं होता। उसे कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया जाना बहुत कठिन होता है। गूंगा भी अपनी विकलांगता के कारण चमेली की दया और सहानुभूति का पात्र बना था। यदि स्किल इंडिया जैसा कोई कार्यक्रम होता तो गूँगे को वहाँ कई चीज़ो को सीखने का अवसर मिलता और साथ ही उसके जैसे अनेक दिव्यांगों के साथ रहने और व्यावहारिक जीवन में रचने-बसने का मौक़ा मिलता। वह ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बनकर किसी-न-किसी कार्य में दक्षता प्राप्त कर लेता और स्वावलम्बी जीवन बिता रहा होता। पहले की अपेक्षा आज दिव्यांगों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। उनको रोजगार दिलाने में तथा कार्यकुशल बनाने में स्किल इंडिया प्रोग्राम के अतिरिक्त भी अन्य अनेक सुविधाएँ प्राप्त हैं। दिव्यांग लोग अनेक महत्वपूर्ण पदों पर सफलता से अपनी जिम्मेदारियाँ निभा रहे हैं।

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10. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए -

(क) करुणा ने सबको . .." जी जान से लड़ रहा हो।

उत्तर

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना 'गूँगे' से ली गई है। चमेली की गली में एक बालक आ धमकता है। वह गूँगा है। वह गली की औरतों को अपनी आपबीती संकेतों के माध्यम से बताता है। उसकी कोशिश देखकर लोगों को करुणा हो आती है।

व्याख्या - वह लोगों को अपने विषय में बताने की भरसक कोशिश कर रहा है। उसे देखकर लोगों को उस पर दया हो आती है। वह इसके लिए बोलने का प्रयास करता है लेकिन अपने इस प्रयास में कामयाब नहीं हो पाता है। उसके मुँह से कान को चीरने वाली आवाज़ निकलती है। यह आवाज़ कौवे के स्वर जैसी कर्कश और काँय-काँय के अतिरिक्त कुछ नहीं होती। लेखक उसके बोलने के प्रयास में मुख से निकलने वाली आवाज़ को और भी स्पष्ट तरीके से बताता है। वह कहता है कि उसके मुख से अस्पष्ट ध्वनियाँ निकल रही हैं। ये ध्वनियाँ किसी को समझ नहीं आती हैं। ऐसा लगता है कि आदिम मानव बोलने का प्रयास कर रहा हो। लेखक कहता है कि मानो वह आदिम मानव अपने में उठने वाले विचारों को बताने के लिए भाषा का निर्माण करने के आरंभिक चरण में हो।

(ख) वह लौटकर चूल्हे पर. . आदमी गुलाम हो जाता है।

उत्तर

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना 'गूँगे' से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है।

व्याख्या - चमेली खाना बनाने के लिए लौट आती है। वह गूँगे की स्थिति के बारे में सोचती है। उसका ध्यान चूल्हे की आग पर जाता है। वह सोचती है कि इस आग के कारण ही पेट की भूख मिटाने के लिए खाना बनाया जा रहा है। यही खाना उस आग को समाप्त करता है, जो पेट में भूख के रूप में विद्यमान है। इसी भूख रूपी आग के कारण एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी स्वीकार करता है। यदि यह आग न हो, तो एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी कभी स्वीकार न करे। यही आग एक मनुष्य की कमज़ोरी बन उसे झुका देती है।

(ग) और फिर कौन....... जिंदगी बिताए।

उत्तर

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना 'गूँगे' से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है। बसंता ने गूँगे पर चोरी का आरोप लगाया है। चमेली जब पूछती है, तो वह कुछ नहीं कह पाता है। चमेली ऐसे ही चली जाती है।

व्याख्या - जब गूँगा उसकी बात का उत्तर नहीं दे पाता है, तो वह सोचती है कि यह मेरा अपना नहीं है। अतः मुझे इसके बारे में इतना सोचने की आवश्यकता नहीं है। यदि उसे हमारे साथ रहना है, तो उसे हमारे अनुसार रहना पड़ेगा। इस तरह सोचकर चमेली सोचती है कि नहीं तो उसके कुत्तों के समान दूसरा का झूठा खाकर ही जीवनयापन करना पड़ेगा।

(घ) और ये गूंगे............ क्योंकि वे असमर्थ हैं?

उत्तर

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना 'गूँगे' से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है।

व्याख्या - चमेली गूँगे के बारे सोची है कि इस प्रकार के गूँगे पूरे संसार में विद्यमान हैं। ये अपनी बात कहने में असमर्थ हैं। इनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है परन्तु अपनी लाचारी के कारण कह नहीं पाते हैं। इनके पास बोलने की शक्ति ही नहीं है। ये न्याय तथा अन्याय के मध्य भेद सरलता से कर सकते हैं क्योंकि इनका हृदय इस विषय में सोचने-समझने में सक्षम है। ये भी अपने साथ हिंसा करने वाले को जवाब देने की इच्छा और क्षमता रखते हैं। परन्तु उस हिंसा का विरोध नहीं कर सकते हैं। कारण इनके पास आवाज़ नहीं है। जो है, उसका कोई अर्थ नहीं निकलता है। आज यदि देखा जाए, तो समाज में इनके अतिरिक्त और भी गूँगे हैं। वे जीवनभर शोषण गूँगों के समान झेलते रहते हैं, उसका विरोध नहीं करते।

11. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए -

(क) कैसी यातना है कि वह अपने हृदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।

उत्तर

चमेली सोचती है कि गूँगे के लिए यह कितना कष्ट से भरा है। ऐसी स्थिति उसके लिए यातना के समान है। वह अपने ह्दय में विद्यमान हर बात को बता देना चाहता है लेकिन कह नहीं पाता। उसके पास आवाज़ नहीं है। अतः बात उसके ह्दय में अंदर ही रह जाती है।

(ख) जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।

उत्तर

चमेली गूँगे से प्रश्न का उत्तर माँगती है लेकिन वह कुछ नहीं बोलता है। चमेली उसकी स्थिति मंदिर में रखे देवता की मूर्ति के समान मानती है। उस मूर्ति के आगे मनुष्य अपने सुख-दुख सब कहता है लेकिन उसे वहाँ से कभी कोई उत्तर नहीं मिलता है। बस यही स्थिति उसके साथ भी है। गूँगे को कुछ भी कहो वह कुछ नहीं कहता क्योंकि उसे कुछ सुनाई नहीं देता है।

योग्यता-विस्तार

1. समाज में दिव्यांगों के लिए लिए होने वाले प्रयासों में आप कैसे सहयोग कर सकते हैं?

उत्तर

समाज में दिव्यांगों के लिए अनेक प्रकार के सहयोग हो रहे हैं। उनके उत्थान के लिए नौकरी मैं आरक्षण, विद्यालय, कॉलेज़ों तथा बसों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। हमें चाहिए कि उन स्थानों में उन्हें सहयोग दें। उदाहरण के लिए बसों में उनके लिए जो सीटें निर्धारित की गई हैं, दिव्यांग व्यक्ति के आने पर तुरंत दी जाए। उनका मज़ाक न उड़ाया जाए यदि कोई उनके साथ मज़ाक करे, तो उसे मना किया जाए। उन्हें सामान्य नागरिक की तरह जीने दिया जाए।

यदि कोई संस्था दिव्यांगों के लिए कोई कार्यक्रम चला रही होगी तो मैं अपने सहपाठियों के साथ उसमें भाग लूँगा। दिव्यांगों को सम्मान दिलाने के लिए होने वाली रैली इत्यादि में उत्साह के साथ भाग लूँगा। दिव्यांग साथियों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं तथा छात्रवृत्ति आदि के बारे में बताऊँगा। व्यक्तिगत रूप में मैं दिव्यांगों के साथ सदा शिष्ट व्यवहार करूँगा और उनके स्वाभिमान और स्वावलंबन का सदा आदर करूँगा।

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