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NCERT Solutions Class 11, Hindi, Antra, पाठ- 8, भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

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NCERT Solutions Class 11, Hindi, Antra, पाठ- 8, भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

लेखक - भारतेंदु हरिश्चंद्र

प्रश्न-अभ्यास

1. पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि 'इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है' क्यों कहा गया है?

उत्तर

पाठ में लेखक यह शब्द इसलिए कहे हैं क्योंकि भारतीय लोगों में आलस समा गया है। इस कारण वे काम करने से बचते हैं। यह देखते हुए उन्होंने कहा है कि अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है। वह कहते हैं कि इसके लिए हमें सबसे पहले अपने अंदर व्याप्त आलस को हटाना होगा। भारतीयों ने निकम्मेपन का जो रोग पाल रखा है, उससे निजात पाना होगा। आलस मनुष्य को परिश्रम करने से रोकता है जिससे मनुष्य का और देश का विकास रुक जाता है।

2. 'जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो' वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?

उत्तर

रॉबर्ट साहब बहादुर कलेक्टर थे। ऐसा लिखकर लेखकर ने ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ का राजा सजग हो। जहाँ का राजा सजग होगा, वहाँ के लोगों को सजग होना पड़ेगा। उनके अंदर आलस नहीं होगा। अपने तथा राज्य के विकास के लिए समाज को काम करना पड़ेगा। समाज की सजगता के कारण चारों ओर उन्नति तथा विकास होगा।

3. जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार 'हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो' से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?

उत्तर

हिंदुस्तानी लोगों की रेल की गाड़ी से तुलना इसलिए की गई है क्योंकि जैसे रेल की गाड़ी को चलाने के लिए इंजन की आवश्यकता होती है वैसे ही हिंदुस्तानी लोग स्वयं काम करने के आदी नहीं होते। उन्हें ट्रेन के इंजन की भांति कोई-न-कोई नेतृत्व करने वाला चाहिए। पूरे भारत में अलग-अलग जाति, संप्रदाय आदि के लोग रहते हैं। इनमें स्वयं चलने की क्षमता है ही नहीं। इन्हें सदियों से एक बाहरी व्यक्ति ही अपने इशारे पर नचा रहा है। यह सही नहीं है। इसलिए लेखक कहता है कि हमें इसका कारण खोजना पड़ेगा।

4. देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

उत्तर

हर क्षेत्र में उन्नति करनी होगी, जैसे धर्म में, घर के काम में, रोजगार में, शिक्षा में और शारीरिक और मानसिक विकास में, समाज की सोच में, छोटे-बड़े में भेदभाव को दूर करने आदि, सब में उन्नति करनी होगी। ऐसी बातों और चीजों से दूर रहना होगा जो देश की उन्नति में बाधक हों। अपनी अंदर की कमियों को पहचान कर उसे पूरी आंतरिक शक्ति लगाकर दूर करना चाहिए। जिस प्रकार कोई दूसरा व्यक्ति घर में गलत विचार से घुस आता है उसे बाहर निकालने के लिए हम अपनी पूरी शक्ति लगाते हैं वैसे ही जो बातें उन्नति के मार्ग में काँटे बनती हों उन्हें जड़ से उखाड़कर फेंक देना चाहिए। इसके लिए कुछ लोग उन लोगों को जाति और धर्म का नाश करने वाले कहेंगे। कुछ लोग पागल और निकम्मा बताएँगे लेकिन उनकी बात को अनसुना करना है। केवल देश के हित के लिए सोचना है, तभी देश उन्नति कर सकेगा।

5. लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?

उत्तर

लेखक जनता से मत-मतांतर के भेदभावों को छोड़कर आपस में प्रेमभाव से मिल-जुलकर रहने का आग्रह करता है क्योंक इससे आपसी भाई-चारा बढ़ेगा। इससे हम जाति तथा वर्गगत संकीर्णता से मुक्त होकर देश की उन्नति के लिए मिल-जुलकर प्रयास करेंगे तो भारतवर्ष को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा अतः एकता की शक्ति के सामने कोई भी टिक नहीं सकेगा।

6. आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नीचे दिए गए वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए-

'जैसे हज्जार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली हैं, वैसे ही तुम्हारी लक्ष्मी हजार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।'

उत्तर

लेखक कहता है कि भारत का पैसा आज हज़ार रुपों में होता हुआ इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी तथा अमेरिका में जा रहा है। आज की स्थिति पूरी तरह ऐसी नहीं है फिर भी हमारा पैसा इन देशों में जा रहा है। आज भी भारतीय विदेशी ब्राँड के कपड़े, जूते, घड़ियाँ, इत्र इत्यादि पहनते हैं और पैसे बाहर जाता है। हम भी व्यापारिक लेन-देन के कारण विदेशी मुद्रा भारत लाते हैं। इस तरह स्थिति बराबर की बनी हुई है।

7. आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदारहण तर्क सहित दीजिए।

उत्तर

देश की उन्नति के लिए हमें आलस्य त्याग कर मिल-जुलकर काम करना होगा। जनता को शिक्षित करना होगा तथा स्वदेशी आंदोलन को बल प्रदान करना होगा। किसान खेत में परिश्रम करके ही अनाज उत्पन्न करता है। शिक्षित व्यक्ति योजना बनाकर कार्य करते हुए अपने व्यापार/कार्य में उन्नति करता है। इसी प्रकार से देश को समर्पित राजनेताओं के कायों से देश की उन्नति हो सकती है। टाटा, बिरला जैसे उद्योगपति देश में उद्योग स्थापित कर देश की उन्नति में योगदान देते हैं। विद्यार्थी मन लगाकर पड़-लिखकर भावी देश के अच्छे नागरिक बनकर देश को उन्नत कर सकते हैं, जैसे पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए० पौ० जे० अब्दुल कलाम ने वैज्ञानिक बनकर देश की मिसाइल तकनीक को इन्नत किया।

8. भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ 'भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?' एक भाषण है।

उत्तर

भाषण की प्रमुख चार विशेषताएँ निम्नलिखित है –

(क) रोचकता – अच्छा भाषण वही कहलाता है जो अपने भीतर रोचकता का गुण छिपाए हुए हों। उसमें श्रोता को अपने साथ बाँध लेने का गुण होना चाहिए। भाषण ऐसा होना चाहिए कि श्रोता का ध्यान पूरी तरह से भाषण देने वाले की ओर लगा रहे। रोचकता को बढ़ाने के लिए भाषण में काव्यांशों, चुटकलों, उदाहरणों, चटपटी बातों आदि का स्थान-स्थान पर प्रयोग किया जाना चाहिए।

(ख) स्पष्टता – भाषण में भाव, विषय और भाषा की स्पष्टता होनी चाहिए। भाषण देने वाले को पूर्ण रूप से पता होना चाहिए उससे कहाँ और क्या बोलना है। पहले से ही उसके मन में विचारों की व्यवस्था होनी चाहिए। उसे अपने विषय पर पूर्ण रूप से अधिकार होना चाहिए। उसकी भाषा में सरलता और स्पष्टता निश्चित रूप से होनी चाहिए।

(ग) ओज पूर्ण – वक्ता को भाषण देते समय उत्साह और ओज का परिचय देना चाहिए। उसकी वाणी ऐसी होनी चाहिए जो श्रोताओं की नस-नस में मनचाहा जोश भर दे। उसके भाषण में ऐसे भाव भरे होने चाहिए जिससे श्रोताओं को लगे कि वे वही तो सुनना चाहते थे जो वक्ता कर रहा है।

(घ) पूर्णता – भाषण में पूर्णता का गुण होना चाहिए। श्रोता को सदा ऐसा लगना चाहिए कि वक्ता के द्वारा कही जानेवाली बात पूर्ण है और उसमें किसी प्रकार का कोई अधूरापन नहीं है। वक्ता को किसी भी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति की ओर स्पष्ट संकेत करना चाहिए।

उपरोक्त विशेषताओं के आधार पर हम कह सकते है कि ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है’ पाठ एक भाषण है। इसमें सर्वत्र रोचकता बनी रहती है। वक्ता ने उदाहरणों के द्वारा अपने भाषण में रोचकता बनाए रखी है। वक्ता की भाषा सहज, सरल तथा अवसरानुकूल है, जैसे-‘ हम कुएँ के मेंछक, काठ के उल्लू, पिंजडे के गंगाराम ही रहे तो हमारी कमबखत कमबख्ती फिर कमबख्ती है।’ वक्ता का यह भाषण ओजपूर्ण है जो तत्कालीन हाथ-में भारतवासियों में कुछ करने का जोश भर देता है। वक्ता जो भी बात कहता है वह स्पष्ट और अपने में पूर्ण है।

9. 'अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो' से लेखक का क्या तात्पर्य है? वर्तमान संदर्भा में इसकी प्रासंगिता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

लेखक के इस कथन का यह तात्पर्य है कि हम अपनी भाषा में अपने विचारों को अच्छी प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं इसलिए हमें अपने देश की पहचान बनाने के लिए अपनी भाषा की भी उन्नति करनी चाहिए। अपनी भाषा अपनी राष्ट्रीयता के विकास में सहायक होती है। आज हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा बनाया गया है। देश के अधिकांश भागों तथा अनेक विदेशी देशों में हिंदी पढ़ी, लिखी, बोली और समझी जाती है इसलिए इसे अपने शासन, दैनिक कार्य-व्यवहार की भाषा के रूप में अपनाना चाहिए क्योंक ‘निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल।’

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10. निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-

(क) सास के अनुमोदन से"........ "फिर परदेस चला जाएगा।

उत्तर

इन पंक्तियों में लेखक ने भारवासियों के आलस्य प्रवृत्ति पर कटाक्ष किया है। वह बताते हैं कि एक बहू अपनी सास से पति से मिलने की आज्ञा लेकर पति के पास गई। वहाँ उसका मिलन नहीं हो पाया। कारण वह लज्जा के कारण कुछ बोल ही नहीं पायी। सारी परिस्थितियाँ उसके अनुकूल थीं। मगर लज्जा उसके मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसे इस कारण पति का मुख देखना भी नसीब नहीं हुआ। अब इसे उसका दुर्भाग्य ही कहें कि अगले दिन उसका पति वापिस जाने वाला था। अतः उसने आया अवसर गँवा दिया। इसके माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि भारवासियों को सभी प्रकार के अवसर मिले हुए हैं। भारतवासियों में आलस्य इस प्रकार छाया हुआ है कि वह इस अवसर का सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद यह अवसर चला गया, तो हमारे पास दुख और पछतावे के अतिरिक्त कुछ नहीं बचेगा।

(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह ........ वही दशा हिंदुस्तान की है।

उत्तर

इन पंक्तियों में लेखक कहते हैं कि एक गरीब परिवार समाज में अपनी इज्जत बचाने में असमर्थ हो जाता है। लेखक एक उदाहरण के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट करते हैं। वे कहते हैं कि गरीब तथा कुलीन वधू अपने फटे हुए वस्त्रों में अपने अंगों को छिपाकर अपनी इज्जत बचाने का हर संभव प्रयास करती है। भाव यह है कि उसके पास साधन बहुत ही सीमित हैं और वह उसमें ही कोशिश करती है। ऐसे ही भारतावासियों के हाल है। चारों ओर गरीबी विद्यमान है। सभी गरीबी से त्रस्त हैं। इसके कारण लोग अपनी इज्जत बचा पाने में असमर्थ हो रहे हैं। यह गद्यांश भारत की गरीबी का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है।

(ग) वास्तविक धर्म तो ........शोधे और बदले जा सकते हैं।

उत्तर

यह गद्यांश उस स्वरूप को दर्शाता है, जो भारत में  विद्यमान धर्मों का है। धर्म मनुष्य को भगवान के चरण कमलों की भक्ति करने के लिए कहता है। हमें इसे समझना होगा। जो अन्य बातें धर्म के साथ जोड़ी गई हैं, वे समाज-धर्म कहलाती हैं। समय और देश के अनुसार इनमें परिवर्तन किया जाना चाहिए। धर्म का मूल स्वरूप हमेशा एक सा रहता है। बस हमें उसके व्यावहारिक पक्ष को बदलने का प्रयास करना चाहिए।

योग्यता-विस्तार

1. देश की उन्नति के लिए भारतेंदु ने जो आह्वान किया है उसे विस्तार से लिखिए।

उत्तर

भारतेंदु लोगों को पश्चिमी देशों से सीख लेने की बात कहते हैं। वह कहते हैं कि भारतवासी इंजन बनने की क्षमता खो चुके हैं। वे तो बस रेल के डिब्बों के समान बने हुए हैं, जिन्हें चलाने के लिए इंजन चाहिए। हमारे राजाओं को समय नष्ट करना आता है मगर अंग्रेज़ ऐसा नहीं करते हैं। उनके अनुसार पश्चिमी देश आगे निकल गए हैं और भारतवासी आलस और निकम्मे के कारण पीछे रह गए हैं। कई लोग अपना सारा जीवन यह कहकर नष्ट कर देते हैं कि उन्हें पेट के लिए कमाना है। वे मानते हैं कि भरे पेट लोग उन्नति के विषय में सोचें। भारत के अतिरिक्त बाहरी देशों में भी कई लोग हैं, जो आधे पेट रहते हैं मगर वे अपना समय नष्ट नहीं करते हैं। वहाँ के खेतवाले, मज़दूर तथा कोचवान समय नष्ट करने के स्थान पर अखबार पढ़ते हैं। भारत में निकम्मे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही हैं, ये लोग काम करने के स्थान पर खाली बैठे रहते हैं। लोग गरीबी का अभिशाप झेल रहे हैं। अपनी इज्जत बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हमें अपनी कमियों, अवगुणों, आलस्य को हटाकर उन्नति के लिए कार्य करने होगे। लोगों को निंदा के डर को निकालकर कर्म करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले हमें धर्म की उन्नति करनी पड़ेगी। जो अन्य बातें धर्म के साथ जोड़ी गई हैं, वे समाज-धर्म कहलाती हैं। समय और देश के अनुसार इनमें परिवर्तन किया जाना चाहिए। धर्म का मूल स्वरूप हमेशा एक-सा रहता है। बस हो सके व्यावहारिक पक्ष को बदला जा सकता है। वे मानते हैं कि आपसी मतभेद मिटाकर एक होने की आवश्यकता है। धर्म, जाति आदि के नाम पर लड़ने के स्थान पर एक हो जाना चाहिए। सबका सम्मान करना चाहिए। मसनवी तथा इंदरसभा जैसे साहित्य के स्थान पर अच्छा साहित्य पढ़वाना चाहिए। युवाओं को शिक्षा दीजिए तथा उनमें मेहनत का गुण भरिए। हमें आवश्यकता है कि नींद से जागे और देश की उन्नति के लिए आगे बढ़ें। हमें विदेश वस्तु और भाषा को हटाकर अपने स्वदेशी वस्तु और भाषा पर विश्वास रखना चाहिए।

2. भारतेंदु उर्दू में किस उपनाम से कविताएँ लिखते थे? उनकी कुछ उर्दू कविताएँ ढूँढ़कर लिखिए।

उत्तर

उर्दू साहित्य में भारतेन्दु जी ‘रसा’ उपनाम से लिखा करते थे। उनकी एक गज़ल इस प्रकार है।-फिर आई फ़स्ले गुल फिर जख़्मदह रह-रह के पकते हैं।मेरे दागे जिगर पर सूरते लाला लहकते हैं।नसीहत है अबस नासेह बयाँ नाहक ही बकते हैं।जो बहके दुख्तेरज से हैं वह कब इनसे बहकते हैं?कोई जाकर कहो ये आख़िरी पैगाम उस बुत से।अरे आ जा अभी दम तन में बाक़ी है सिसकते हैं ।न बोसा लेने देते हैं न लगते हैं गले मेरे।अभी कम-उम्र हैं हर बात पर मुझ से झिझकते हैं।व गैरों को अदा से कत्ल जब बेबाक करते हैं।तो उसकी तेग़ को हम आह किस हैरत से तकते हैं।उड़ा लाए हो यह तर्जे सखुन किस से बताओ तो।दमे तक़दीर गोया बाग़ में बुलबुल चहकते हैं।’रसा’ की है तलाशे यार में यह दश्त-पैमाई।कि मिस्ले शीशा मेरे पाँव के छाले झलकते हैं।

3. पृथ्वीराज चौहान की कथा अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

लेखक अपने भाषण में पृथ्वीराज चौहान की कथा से लोगों को यह प्रेरणा देना चाहते हैं कि यदि उन्हें कुछ करने का अवसर मिले तो उसका लाभ उठाकर अपना कार्य पूरा कर लेना चाहिए। पृथ्वीराज चौहान को गौरी युद्ध में पराजित करके कैदी बनाकर उसे अपने साथ दिल्ली ले गया था। पृथ्वीराज के साथ उसका मित्र चंद कवि भी उसके साथ कैदी था। पृथ्वीराज की आँखें फोड़ दी गई थीं। शहाबुद्दीन के भाई गियासुद्दीन को किसी ने बताया कि पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण बहुत अच्छा चलाता है।

अंधे पृथ्वीराज चौहान की परीक्षा लेने के लिए एक सभा रखी गई। लोहे के सात तावे बनवाए गए जिन्हें पृथ्वीराज ने आवाज़ सुनकर तीर से फाड़ने थे। तीर-चलाने के लिए एक संकेत निश्चित किया कि जब गियासुद्दीन ‘हूँ’ कहे तभी तीर छोड़ा जाएगा। चंद कवि पृथ्वीराज चौहान के साथ मैदान में था। चंद कवि ने उस समय पृथ्वीराज के लिए यह दोहा पढ़ा कि “अबकी चढ़ी कमान, को जानै फिर कब चढ़ै। जिनि चुक्के चौहान, इक्के मारण इक्क सर॥” चंदकवि को पृथ्वीराज का तैयार होने का इशारा समझकर गियासुद्दीन ने ‘हूँ’ कहा तो पृथ्वीराज ने उसी बाण से उसे मार दिया। इस प्रकार पृथ्वीराज चौहान ने अवसर पाकर अपना काम पूरा किया। उसी प्रकार यदि उन लोगों को उन्नति करने का अवसर मिला है तो उसका लाभ उठाना चाहिए।

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